साहिब कौन देस मोहि डारा हिंदी मीनिंग
साहिब कौन देस मोहि डारा, साहिब कौन देस मोहि डारा॥
वह तो देश अजर हंसन का, यह सब काल पसारा॥
Sahib Koun Des Mohi Dara, Sahib Koun Desh Mohi Dara,
Vah To Desh Ajar Hansan ka, Yah Sab Kal Pasara
भक्त जीवात्मा की करूँण पुकार है की ईश्वर आपने मुझे कहाँ पर भेज दिया है ? मैं तो स्वर्गलोक का रहने वाला और यहाँ पर तो काल पसरा पड़ा है। आपने मुझे यहाँ कहाँ पर फसा दिया है। भाव है की मुझे सतलोक में ले चलो जो अजर (अमर ) हंसन (जीवात्मा) का स्थान है, इस धरती पर तो पग पग पर काल पसरा पड़ा है। जीवात्मा की पुकार है की इस सांसारिक दुनिया में चिंता और मोह के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं। उसका हृदय अपने सत्य रूपी गहरे अंतर्मन की खोज में लगा हुआ है, और इस जीवन के विभिन्न पहलुओं से उसे आनंद नहीं मिल पा रहा है। जीवात्मा ईश्वर से पुकार कर रही है की वे पुनः उसे सतलोक में ले जाएं।
इस पद्यांश में अत्यंत भावपूर्ण संदेश है, जिसमें भक्त जीवात्मा ईश्वर को अपनी करूणा की पुकार करता है और सांसारिक दुनिया में फंसने के दुख से मुक्ति के लिए प्रार्थना करता है। इस संदेश में जीवात्मा का विद्यमान स्थान और उसकी अनुभूत समस्याओं का वर्णन किया गया है।
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