कैसा खेल रचाया मेरे दाता जित देखूं उत तुम ही तुम
कैसा खेल रचाया मेरे दाता जित देखूं उत तुम ही तुम
कैसा खेल रचाया मेरे दाता,
जित देखूं उत तुम ही तुम,
कैसी भूल जगत पर डाली,
सब करनी कर रहा तू...।।
नर और नारी में एक तू ही,
सारे जगत में दरसे तू,
बालक बन कर रोने लगा है,
माता बन कर पुचकारे तू,
कैसा खेल रचाया मेरे दाता...।।
राज घरों में राजा बन बैठा,
भिखारियों में मंगता तू,
झगड़ा हो तो झगड़न लागे,
फौजदारी में थानेदार तू,
कैसा खेल रचाया मेरे दाता...।।
देवों में देवता बन बैठा,
पूजा करन में पुजारी तू,
चोरी करन में चोरता है तू,
खोज करन में खोजी तू,
कैसा खेल रचाया मेरे दाता...।।
राम ही करता, राम ही भरता,
सारा खेल रचाया तू,
कहे कबीर सुने भई साधो,
उलट-पुलट करे पल में तू,
कैसा खेल रचाया मेरे दाता...।।
जित देखूं उत तुम ही तुम,
कैसी भूल जगत पर डाली,
सब करनी कर रहा तू...।।
नर और नारी में एक तू ही,
सारे जगत में दरसे तू,
बालक बन कर रोने लगा है,
माता बन कर पुचकारे तू,
कैसा खेल रचाया मेरे दाता...।।
राज घरों में राजा बन बैठा,
भिखारियों में मंगता तू,
झगड़ा हो तो झगड़न लागे,
फौजदारी में थानेदार तू,
कैसा खेल रचाया मेरे दाता...।।
देवों में देवता बन बैठा,
पूजा करन में पुजारी तू,
चोरी करन में चोरता है तू,
खोज करन में खोजी तू,
कैसा खेल रचाया मेरे दाता...।।
राम ही करता, राम ही भरता,
सारा खेल रचाया तू,
कहे कबीर सुने भई साधो,
उलट-पुलट करे पल में तू,
कैसा खेल रचाया मेरे दाता...।।
Kaisa Khel Rachaya - कैसा खेल रचाया
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Admin - Saroj Jangir
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