बहे सत्संग का दरिया नहा लो जिस का जी चाहे
बहे सत्संग का दरिया नहा लो जिस का जी चाहे
बहे सत्संग का दरिया,
नहा लो जिसका जी चाहे,
करो हिम्मत, लगा डुबकी,
नहा लो जितना जी चाहे।
बहे सत्संग का दरिया...।।
हज़ारों रतन हैं इसमें,
इक से इक बढ़ियाला,
नहीं कोई डर बीमारी का,
लगा लो जितना जी चाहे।
बहे सत्संग का दरिया...।।
खज़ाना वो मिले इसमें,
नहीं मुमकिन ज़माने में,
किसी का डर नहीं कुछ भी,
उठा लो जितना जी चाहे।
बहे सत्संग का दरिया...।।
मिटे संसार का चक्कर,
लगे नहीं मौत की टक्कर,
करे है भवसागर पार,
करा लो जिसका जी चाहे।
बहे सत्संग का दरिया...।।
बना दे चोर से साधु,
मिटावे दुष्ट मन की,
कटे जड़ मूल पापों का,
कटा लो जिसका जी चाहे।
बहे सत्संग का दरिया...।।
नहा लो जिसका जी चाहे,
करो हिम्मत, लगा डुबकी,
नहा लो जितना जी चाहे।
बहे सत्संग का दरिया...।।
हज़ारों रतन हैं इसमें,
इक से इक बढ़ियाला,
नहीं कोई डर बीमारी का,
लगा लो जितना जी चाहे।
बहे सत्संग का दरिया...।।
खज़ाना वो मिले इसमें,
नहीं मुमकिन ज़माने में,
किसी का डर नहीं कुछ भी,
उठा लो जितना जी चाहे।
बहे सत्संग का दरिया...।।
मिटे संसार का चक्कर,
लगे नहीं मौत की टक्कर,
करे है भवसागर पार,
करा लो जिसका जी चाहे।
बहे सत्संग का दरिया...।।
बना दे चोर से साधु,
मिटावे दुष्ट मन की,
कटे जड़ मूल पापों का,
कटा लो जिसका जी चाहे।
बहे सत्संग का दरिया...।।
SATSANGI BHAJAN | बहे सत्संग का दरिया | सत्संगी भजन माला | SUMAN BHATIA
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Admin - Saroj Jangir
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