चाह मिटी चिंता मिटी मनवा बेपरवाह मीनिंग कबीर के दोहे

चाह मिटी चिंता मिटी मनवा बेपरवाह मीनिंग Chah Miti Chinta Miti Meaning : Rahim Ke Dohe Bhavarth/Arth

चाह मिटी, चिंता मिटी मनवा बेपरवाह,
जिसको कुछ नहीं चाहिए वह शहनशाह॥

Chah Miti Chinta Miti Manava Beparvah,
Jisko Kuch Nahi Chahie, Vah Shanshah.
 
चाह मिटी चिंता मिटी मनवा बेपरवाह मीनिंग Chah Miti Chinta Miti Meaning

Rahim Ke Dohe Hindi Meaning रहीम के दोहे का हिंदी अर्थ/भावार्थ

लालसा और लोभ के विषय में कबीर साहेब का कथन है की चाह मिट जाने पर, कुछ प्राप्त कर लेने की लालसा के समाप्त हो जाने पर मन बेपरवाह हो उठता है। जिनको कुछ भी नहीं चाहिए वह व्यक्ति बेपरवाह हो जाता है और वह राजा के समान हो जाता है, वह निर्भय हो जाता है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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