चंद्रप्रभा वटी के फायदे, उपयोग सम्पूर्ण जानकारी Chandraprabha Vati Benefits in Hindi

चंद्रप्रभा वटी के फायदे, उपयोग सम्पूर्ण जानकारी Chandraprabha Vati Benefits in Hindi

आज की पोस्ट में हम चंद्रप्रभा वटी के लाभ, उपयोग और सेवन विधि के बारे में जानेंगे। चंद्रप्रभा वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो मुख्य रूप से रक्त की कमी, शारीरिक कमजोरी और यौन कमजोरी के इलाज के लिए उपयोग की जाती है। यह एक बहुत ही प्रभावी दवा है और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। चंद्रप्रभा वटी को अश्वगंधा, शतावर, गोक्षुरा और अन्य जड़ी-बूटियों से बनाया जाता है। यह दवा शरीर में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती है, शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है और यौन इच्छा को बढ़ाती है। आइये चंद्रप्रभा वटी के बारे में विस्तार से जान लेते हैं.
 
चंद्रप्रभा वटी के फायदे, उपयोग सम्पूर्ण जानकारी Chandraprabha Vati Benefits in Hindi

चंद्रप्रभा वटी क्या है ? What is Chandraprabha Vati?

चंद्रप्रभा वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो मुख्य रूप से रक्त की कमी, शारीरिक कमजोरी और यौन कमजोरी के इलाज के लिए उपयोग में ली जाती है. यह एक बहुत ही प्रभावी दवा है और इसका कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं होता है. चंद्रप्रभा वटी को अश्वगंधा, शतावर, गोक्षुरा और अन्य जड़ी-बूटियों से बनाया जाता है. यह दवा शरीर में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती है, शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है और यौन इच्छा को बढ़ाती है. चंद्रप्रभा वटी का सेवन करने के लिए 1-2 गोली दिन में दो बार दूध या पानी के साथ लेनी चाहिए. चंद्रप्रभा वटी एक बहुत ही सुरक्षित और प्रभावी दवा है और इसका उपयोग सभी आयु के लोग कर सकते हैं.
 

चंद्रप्रभा वटी है मधुमेह में फायदेमंद Benefits of Chandraprabh Vati for Diabetes in Hindi

आजकल लोग अपनी व्यस्त जिंदगी में खुद के स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पा रहे हैं. यही वजह है कि मधुमेह एक आम बीमारी बन गई है. युवा से लेकर बुजुर्ग तक सभी इस जानलेवा बीमारी के शिकार हैं. चंद्रप्रभा वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो शरीर में इंसुलिन की मात्रा को नियंत्रित करती है और शुगर को नियंत्रित रखती है. मधुमेह रोगी वैद्य की सलाह लेकर रोजाना चंद्रप्रभा वटी का सेवन कर सकते हैं, उल्लेखनीय है की बाबा रामदेव भी इस वटी की सिफारिश मधुमेह के उपचार के लिए करते हैं। 

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किडनी सम्बन्धी रोग में लाभकारी है चंद्रप्रभा वटी Benefits of Chandraprabh Vati for Kidney related disorders in Hindi

चंद्रप्रभा वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो किडनी और मूत्राशय के रोगों के इलाज में उपयोगी है. यह दवा किडनी की कार्यक्षमता को बढ़ाती है, मूत्र की उत्पत्ति को बढ़ाती है, यूरिक एसिड और यूरिया को शरीर से बाहर निकालती है, और मूत्राशय में जलन, पेडू में जलन, मूत्र का रंग लाल होना या अधिक दुर्गन्ध होना जैसे लक्षणों को दूर करती है. अगर आप किडनी या मूत्राशय के रोगों से पीड़ित हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लेकर चंद्रप्रभा वटी का उपयोग कर सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, किडनी का सही से काम न करना, मूत्रमार्ग से जुड़ी कई परेशानियों का कारण होता है। पेशाब में जलन, महिलाओं को पेट में दर्द, पेशाब से बुरी बदबू आना, ऐसी समस्याओं का समाधान, चंद्रप्रभावटी है। यह आयुर्वेदिक औषधि, किडनी को मजबूत और स्वस्थ रखती है, साथ ही, मूत्रमार्ग से, शरीर में प्रवेश करने वाले, हानिकारक जीवाणु को, पेशाब के साथ, बाहर फेंकती है। चन्द्रप्रभा वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो इन समस्याओं में बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है. यह दवा किडनी को स्वस्थ रखती है और शरीर से हानिकारक बैक्टीरिया को मूत्राशय के रास्ते बाहर निकालती है.
 

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मूत्र सम्बन्धी विकारों में लाभदायक चंद्रप्रभा वटीUses of Chandraprabh Vati in Urinary track inflammation in Hindi

चंद्रप्रभा वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो मूत्र संबंधी विकारों के इलाज में उपयोगी है. यह दवा मूत्र आने पर जलन, रुक-रुक कर मूत्र आना, मूत्र में सर्करा आना, मूत्र में एल्ब्यूमिन जाना, मूत्राशय की सूजन और लिंगेंद्रिय की कमजोरी के इलाज में प्रभावी है. यह दवा शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखने, मूत्राशय की मांसपेशियों को मजबूत करने और मूत्र के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करती है. अगर आप मूत्र संबंधी विकारों से पीड़ित हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लेकर चंद्रप्रभा वटी का उपयोग करें.
  1. यहां चंद्रप्रभा वटी के कुछ लाभ दिए गए हैं:
  2. मूत्र आने पर जलन को कम करता है
  3. मूत्र में शर्करा और एल्ब्यूमिन को कम करता है
  4. मूत्राशय की सूजन को कम करता है
  5. लिंगेंद्रिय की कमजोरी को दूर करता है
  6. शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखता है
  7. मूत्राशय की मांसपेशियों को मजबूत करता है
  8. मूत्र के प्रवाह को बढ़ाता है

शारीरिक और मानसिक शक्ति के लिए पतंजलि चंद्रप्रभा वटी  Chandraprabh Vati works like a tonic in Hindi

पतंजलि चंद्रप्रभा वटी के के सेवन से शारीरिक और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है और थकान, तनाव, कमजोरी दूर होती है।
 

वीर्य सम्बन्धी रोगों में चंद्रप्रभा वटी के फायदे Chandraprabh Vati Benefits Sperm Quality in Hindi

जब शरीर से शुक्र या रजोधातु ज्यादा निकलता है, तो शरीर की चमक कम हो जाती है, त्वचा पीली पड़ जाती है, कम मेहनत से ही शरीर थकता है, आँखें सूजती हैं, भूख कम लगती है, आदि समस्याएं होती हैं। इसके लिए यह वटी काम आती है। यह सभी धातुओं को, खून पोषित करती है। यह स्पर्म की संख्या (sperm count) को बढ़ाती है, खून के कोशिकाओं को साफ करती है और पुनर्निर्मित करती है। स्वप्नदोष (Nightfall) या शुक्रनलिका (spermatic cord) कमजोर होने पर, चंद्रप्रभा वटी को गुडुची के काढ़े के उपरान्त लेना चाहिए। चन्द्रप्रभा वटी से वीर्य दोष भी दूर होते हैं। अगर आपका वीर्य कमजोर हो जाए तो आपको संतान प्राप्ति में कठिनाई होती है, साथ ही आपको यौन कमजोरी, नपुंसकता, स्वप्नदोष, आदि जैसी समस्याएं होती हैं| इन समस्याओं को दूर करने के लिए आपको चंद्रप्रभा वटी का सेवन करना चाहिए| यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित आयुर्वेदिक दवा है, जो आपके शुक्राणुओं की संख्या, मात्रा, और गुणवत्ता को बेहतर करती है, और आपको पुरुषत्व की पूर्णता प्रदान करती है|

महिलाओं के लिए चंद्रप्रभा वटी Benefits of Chandraprabha Vati for female

चंद्रप्रभावटी एक प्राचीन और प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है, जो महिलाओं की कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करती है। इसमें 37 प्रकार के जड़ी-बूटियों, मिनरल्स, मेटल्स और सल्फर का मिश्रण होता है, जो महिलाओं के हॉर्मोनल, प्रजनन, मूत्र, पाचन, मस्तिष्क, हृदय, रक्त, हड्डी, मांसपेशियों और स्नायु सम्बंधी विकारों को दूर करने में सहायक होते हैं।
 
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स्त्री रोगों में पतंजलि चंद्रप्रभा वटी के लाभ Benefits of Patanjali Chandraprabha Vati for women in Hindi

चंद्रप्रभावटी का सेवन महिलाओं के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है, क्योंकि इससे उनके गर्भाशय की सेहत में सुधार होता है। गर्भाशय में रसौली होना, गर्भाशय का आकार बढ़ना, प्रेगनेंसी के समय बार-बार मिसकैरेज होना, पीरियड्स (periods) के समय कमी या अति स्राव होना, पीरियड्स  के समय पेट में दर्द होना, पीसीओस (PCOS) होना, मेनोपॉज के समय हॉर्मोनल संतुलनमें परेशानी होना, इत्यादि समस्याएं, चंद्रप्रभावटी के सेवन से कम होती हैं, और महिला का स्‍त्रीत्‍व सुरक्षित रहता है।
 

चंद्रप्रभा वटी दर्दनिवारक के रूप में Chandraprabha Vati relieves pain in Hindi

चंद्रप्रभा वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो दर्द से राहत दिलाने में बहुत फायदेमंद है. यह दवा यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मदद करती है, जिससे जोड़ों के दर्द, गठिया और सूजन में आराम मिलता है. इसके अलावा, चंद्रप्रभा वटी मासिक धर्म की अनियमितताओं को ठीक करने में भी मदद करती है और मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द और कमर दर्द में राहत देती है. चंद्रप्रभा वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो दर्द से राहत दिलाने में बहुत फायदेमंद है. यह दवा यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मदद करती है, जिससे जोड़ों के दर्द, गठिया और सूजन में आराम मिलता है. इसके अलावा, चंद्रप्रभा वटी मासिक धर्म की अनियमितताओं को ठीक करने में भी मदद करती है और मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द और कमर दर्द में राहत देती है.
 
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पाचन तंत्र को लाभ पहुंचाने के लिए चन्द्रप्रभावटी Chandraprabha Vati Benefits for Digestion

चंद्रप्रभा वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो पाचन तंत्र को मजबूत करने में बहुत फायदेमंद है. यह दवा अपच, गैस, कब्ज, एसिडिटी, पेट दर्द और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं को ठीक करने में मदद करती है. यह दवा पाचन रस के स्राव को बढ़ाती है और भोजन को पचाने में मदद करती है. इसके अलावा, यह दवा पेट को साफ करती है और कब्ज को दूर करती है. 

आपका पाचन तंत्र आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है| अगर आपका पाचन तंत्र कमजोर हो जाए तो आपको पेट की कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि अपच, गैस, कब्ज, आदि| इन समस्याओं से बचने के लिए आपको चंद्रप्रभा वटी का सेवन करना चाहिए| यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित आयुर्वेदिक दवा है, जो आपके पाचन क्रिया को सुधारती है, और आपको पेट की समस्याओं से मुक्ति देती है|

मूत्र सम्बन्धी विकारों लाभकारी है चन्द्रप्रभा वटी Chandraprabha Vati is beneficial for urinary disorders

आपका मूत्राशय आपके शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है| अगर आपका मूत्राशय स्वस्थ नहीं होता है तो आपको पेशाब के साथ कई परेशानियां हो सकती हैं, जैसे कि पेशाब में जलन, पेशाब का बार-बार आना, पेशाब का ठीक से नहीं आना, मूत्रपथ में सूजन, और पुरुषों के लिंग की कमजोरी| इन परेशानियों को दूर करने के लिए आपको चंद्रप्रभा वटी का सेवन करना चाहिए| यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित आयुर्वेदिक दवा है, जो आपके मूत्राशय को स्वस्थ रखती है, और आपको पेशाब से संबंधित समस्याओं से मुक्ति देती है|
 

लीवर सम्बन्धी विकारों में लाभकारी है चन्द्रप्रभा वटी Chandraprabha Vati is beneficial in liver related disorders

आपका लीवर आपके शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है| अगर आपका लीवर काम करना बंद कर दे तो आपको कई बीमारियां हो सकती हैं, जैसे कि पीलिया, हेपेटाइटिस, सिरोसिस, आदि| इन बीमारियों को दूर करने के लिए आपको चंद्रप्रभा वटी का सेवन करना चाहिए| यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित आयुर्वेदिक दवा है, जो आपके लीवर को स्वस्थ रखती है, और आपको लीवर से संबंधित समस्याओं से मुक्ति देती है|
 

गठिया में विकार में चन्द्रप्रभावटी के लाभ Chandraprabha Vati uses in Hindi for Joints

आपके जोड़ों का स्वास्थ्य आपके शरीर की गतिविधि पर निर्भर करता है| अगर आपके जोड़ों में सूजन, दर्द, अकड़न, या लचीलापन कम हो जाए तो आपको गठिया, संधि-शोथ, आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं| इन समस्याओं को दूर करने के लिए आपको चंद्रप्रभा वटी का सेवन करना चाहिए| यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित आयुर्वेदिक दवा है, जो आपके मूत्राशय से हानिकारक पदार्थों को बाहर करती है, और आपके कोलेस्ट्रॉल, यूरिक एसिड, और जलन को कम करती है|
 

गर्भपात में चंद्रप्रभा वटी के फायदे Chandraprabha Vati ke fayde for Miscarriages

चंद्रप्रभा वटी एक अच्छा टॉनिक है, जो महिलाओं के लिए फायदेमंद है| यह महिलाओं के गर्भाशय को स्वस्थ और मजबूत बनाता है| जिन महिलाओं को गर्भपात की समस्या होती है, उनके लिए यह आयुर्वेद की बहुत ही कारगर दवा है|
 

चंद्रप्रभा वटी के अन्य लाभ Other Benefits of Chandraprabha Vati

यह पाचन में सुधार करती है, भूख बढ़ाती है, और कमजोरी को दूर करती है| यह मल-मूत्र के साथ वीर्य का निकलना, बार-बार पेशाब आना, सफेद पानी का आना, वीर्य में कमी, पथरी, अंडकोषों का बढ़ना, पीलिया, बवासीर, कमर में दर्द, आंखों के रोग, और स्त्री-पुरुषों के गुप्तांगों के रोगों को ठीक करती है|
 

चंद्रप्रभा वटी उपयोग करने का तरीका /सेवन विधि Dosage of Chandraprabha Vati in Hindi

आप चंद्रप्रभा वटी को सुबह और शाम 1 या 2 गोली खा सकते हैं, लेकिन इससे पहले वैद्य से पूछ लें| जिनको कमजोरी हो, उनके लिए गाय का दूध के साथ लेना बेहतर है|
 

चन्द्रप्रभा वटी सेवन से संभावित दुष्प्रभाव Side effects of f Chandraprabha Vati in Hindi

चंद्रप्रभा वटी का कोई बुरा प्रभाव नहीं है, लेकिन इसे ज्यादा मात्रा में या बिना वैद्य की सलाह के नहीं लेना चाहिए| इससे कुछ लोगों को पेशाब में जलन, सांस में तकलीफ, पेट में दर्द, या मतली हो सकती है|
चंद्रप्रभा वटी को लेने से पहले, अपने पुराने रोगों और दवाओं के बारे में वैद्य को बताएं| कुछ सावधानियां हैं, जिनका पालन करना चाहिए -
  • बच्चों को सिर्फ वैद्य की सलाह पर ही इसे दें|
  • मधुमेह के मरीजों को इस ओषधि के सेवन से पहले वैद्य की सलाह लेनी चाहिए |
  • गर्भवती महिलाओं को इसे नहीं लेना चाहिए|
  • किसी प्रकार की एलर्जी होने पर, इसका सेवन बंद कर देना चाहिए.
चंद्रप्रभा वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में मदद करती है. यह पाचन संबंधी समस्याओं, मासिक धर्म संबंधी समस्याओं, मांसपेशियों की कमजोरी, शारीरिक कमजोरी, लीवर की समस्याओं और अन्य समस्याओं में फायदेमंद मानी जाती है.
चंद्रप्रभा वटी को खाली पेट या भोजन के बाद लिया जा सकता है. हालांकि, यह हमेशा एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करने के बाद ही लेना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को चंद्रप्रभा वटी लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
 
चंद्रप्रभा वटी के कुछ संभावित दुष्प्रभाव हैं, जैसे:
  1. मतली
  2. उल्टी
  3. दस्त
  4. पेट दर्द
  5. सिरदर्द
  6. चक्कर आना
  7. नींद में कमी
  8. त्वचा पर रैशेज
चंद्रप्रभा वटी के बारे में कुछ प्रश्न :
  1. क्या चंद्रप्रभा वटी पाचन में मदद करती है? हां, यह दवा गैस, कब्ज, और अपच को ठीक करती है|
  2. क्या चंद्रप्रभा वटी को खाली पेट ले सकते हैं? नहीं, इसे हमेशा वैद्य की सलाह पर ही लेना चाहिए|
  3. क्या गर्भवती महिलाएं चंद्रप्रभा वटी ले सकती हैं? नहीं, गर्भावस्था में इसे नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इसके प्रभाव पर पर्याप्त साक्ष्य नहीं है|
  4. किस-किस रोग में चंद्रप्रभा वटी काम करती है? यह दवा महिलाओं के मासिक समस्याओं, मांसपेशियों की कमजोरी, सामान्य कमजोरी, पाचन, और लीवर के स्वास्थ्य में सुधार करती है|

पतंजलि चंद्रप्रभा वटी के घटक Composition of Chandraprabha Vati

  • चन्द्रप्रभा (शटी/कर्चूर) (Hedychium spicatium Buch-Ham) / निस्राव / 3 ग्राम
  • वचा (Acorus calamus Linn.) / कन्द / 3 ग्राम
  • मुस्ता (Cyperus rotundus Linn.) / कन्द / 3 ग्राम
  • भूनिम्ब (किराततिक्त) (Swertia chirayita Roxb.ex.Flem.Karst.) / पंचांग / 3 ग्राम
  • अमृता (गुडुची) (Tinospoera cordifolia (willd)) / तना / 3 ग्राम
  • दारुक (देवदारु) (Cedrus deodara (Roxb.) Loud.) / सार / 3 ग्राम
  • हरिद्रा (Curcuma longa Linn.) कन्द 3 ग्राम
  • अतिविषा (Aconitum heterophylum Wall.) / जड़ का गूदा / 3 ग्राम
  • दार्वी (दारुहरिद्रा) (Berberis aristata DC) / तना / 3 ग्राम
  • पिप्पलीमूल (Piper longum Linn.) / जड़ / 3 ग्राम
  • चित्रक (Plumbago zeylanica Linn.) / जड़ / 3 ग्राम
  • धान्यक (Coriandrum sativum Linn.) / फल / 3 ग्राम
  • हरीतकी (Terminalia chebula Retz.) / फली / 3 ग्राम
  • बिभीतक (Terminali bellirica Roxb.) / फली / 3 ग्राम
  • आमलकी (Emblica officinalis Gaertn.) / फली / 3 ग्राम
  • चव्य (Piper retrofractum Vahl.) / तना / 3 ग्राम
  • विडङ्ग (Embella ribes Burm.) / फल / 3 ग्राम
  • गजपिप्पली (Piper longum Linn.) / फल / 3 ग्राम
  • सोंठ (Zingiber officinale Rosc.) / कन्द / 3 ग्राम
  • काली मिर्च (Piper nigrum Linn.) / फल / 3 ग्राम
  • स्वर्णमाक्षिक धातु / भस्म / 3 ग्राम
  • यवक्षार (यव) / पंचांग / 3 ग्राम
  • सज्जीक्षार / 3 ग्राम
  • सैंधव लवण / 3 ग्राम
  • सौवर्चल लवण / 3 ग्राम
  • विड लवण / 3 ग्राम
  • त्रिवृत् / जड़ / 12 ग्राम
  • दन्ती (Balio spermum montanum Muell.- Arg.) / जड़ / 12 ग्राम
  • पत्रक (तेजपत्र) (Cinnamomum tamal) / पत्ते / 12 ग्राम
  • दालचीनी (Cinnamomum zeylanicum Breyn) / तने की छाल / 12 ग्राम
  • एला (Elettaria cardmomum Maton.) / बीज / 12 ग्राम
  • पिप्पली (Piper longum Linn.) / फल / 3 ग्राम
  • वंशलोचन (Bambusa arundinacea Willd.) (S.C) / 12 ग्राम
  • हतलोह (लौह भस्म) / 24 ग्राम
  • सिता (मिश्री) / 48 ग्राम
  • शिलाजीत / 96 ग्राम
  • गुग्गुलु / निर्यास / 96 ग्राम

चंद्रप्रभावटी बनाने के सामान्य चरण -
  • हर्बल सामग्री को धूप में सुखाकर पीस लें और एक एयरटाइट कंटेनर में रख दें।
  • शिलाजीत और गुग्गुल को गोमूत्र और त्रिफला काढ़े से स्वेद प्रक्रिया से शुद्ध किया जाता है।
  • त्रिफला काढ़ा को अलग से तैयार करके हर्बल पाउडर के साथ मिलाएं और 3-4 घंटे तक भिगोएं।
  • शर्करा और तीन प्रकार के नमक को अलग-अलग पीसकर बारीक पाउडर बना लें।
  • हर्बल पाउडर को स्वादानुसार नमक और चीनी के पाउडर के साथ मिलाएं।
  • पाउडर को 60°C पर हवा में सुखाएं।
  • लोह भस्म को स्वेद प्रक्रिया से शुद्ध करके पीस लें।
  • शुद्ध शिलाजीत, शुद्ध लोहे की भस्म और हर्बल पाउडर को एक मिक्सर में अच्छी तरह मिला लें।
  • अंत में, गोंद गुग्गुल को बाध्यकारी एजेंट के रूप में मिलाएं।
  • इसे अपने हाथ में रोल करके या टैबलेट बनाने की मशीन से गोलियां बना लें।
आयुर्वेद में चंद्रप्रभावटी का वर्णन :-
चद्रप्रभा वचा मुस्तं भूनिम्बामृतदारुकम्।
हरिद्रा।तिविषादार्वी पिप्पलीमूलचित्रकौ।।
धान्यकं त्रिफला चव्यं विडङ्गं गजपिप्पली।
व्योषं माक्षिकधातुश्च द्वौ क्षारौ लवणत्रयम्।।
एतानि शाणमात्राणि प्रत्येकं कारयेद् बुध।
त्रिवृद्दन्ती पत्रकं च त्वगेला वंशरोचना।।
प्रत्येकं कर्षमात्राणि कुर्यादेतानि बुद्धिमान्।
द्विकर्षं हतलोहं स्याच्चतुष्कर्षा सिता भवेत्।।
शिलाजत्वष्टकर्षं स्यादष्टौ कर्षाश्च गुग्गुलो।
एभिरेकत्र संक्षुण्णै कर्त्तव्या गुटिका शुभा।।
चद्रप्रभेति विख्याता सर्वरोगप्रणाशिनी।
प्रमेहान्विंशतिं कृच्छं मूत्राघातं तथा।श्मरीम्।।
विबन्धानाहशूलानि मेहनं ग्रन्थिमर्बुदम्।
अण्डवृद्धिं तथा पाण्डुं कामलां च हलीमकम्।।
आत्रवृद्धिं कटीशूलं श्वासं कासं विचर्चिकाम्।
कुष्ठान्यर्शांसि कण्डूं च प्लीहोदरभगन्दरम्।।
दन्तरोगं नेत्ररोगं त्रीणामार्त्तवजां रुजम्।
पुटंसां शुक्रगतान्दोषान्मन्दाग्निमरुचिं तथा।।
वायुतं पित्तं कपैं हन्याद् बल्या वृष्या रसायनी।
चद्रप्रभायां कर्षस्तु चतुशाणो विधीयते।।
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