जहाँ दया तहाँ धर्म है जहाँ लोभ तहाँ पाप मीनिंग Jaha Daya Tahan Dharm Meaning
जहाँ दया तहाँ धर्म है, जहाँ लोभ तहाँ पाप।
जहाँ क्रोध तहाँ पाप है, जहाँ क्षमा तहाँ आप॥
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जहाँ दया तहा धर्म है, जहाँ लोभ वहां पाप।
जहाँ क्रोध तहा काल है, जहाँ क्षमा वहां आप।
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जहां दया तहं धर्म है, जहां लोभ तहं पाप।
जहां क्रोध तहं काल है, जहां क्षमा आप॥
जहाँ क्रोध तहाँ पाप है, जहाँ क्षमा तहाँ आप॥
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जहाँ दया तहा धर्म है, जहाँ लोभ वहां पाप।
जहाँ क्रोध तहा काल है, जहाँ क्षमा वहां आप।
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जहां दया तहं धर्म है, जहां लोभ तहं पाप।
जहां क्रोध तहं काल है, जहां क्षमा आप॥
Jahaan Daya Tahan Dharm Hai, Jahaan Lobh Vahaan Paap.
Jahaam Krodh Taha Kaal Hai, Jahaam Kshama Vahaam Aap.
Jahaan Daya Taha Dharm Hai Jaha Lobh Vahan Paap Word Meaning in Hindi दोहे के शब्दार्थ:-
- जहाँ दया -जहां दया है, स्वभाव में मानवीय गुण है, या जिस मनुष्य में मानवता है, आचरण शुद्ध है।
- तहा धर्म है- जो धर्म का पालन करता है, जहां पर धर्म है, वहीँ पर धर्म स्वतः ही है।
- जहाँ लोभ - जिस स्थान पर लोभ है, लालच है।
- वहां पाप-वहाँ पर पाप है/जहाँ पर लोभ है वहाँ पर पाप होता है।
- जहाँ क्रोध - जहाँ पर क्रोध है।
- तहा काल है - वहाँ पर अवश्य ही मृत्यु/विनाश है।
- जहाँ क्षमा- जहां पर क्षमा है।
- वहां आप-जहाँ पर क्षमा है वहाँ पर इश्वर है।
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कबीर साहेब का स्पष्ट सन्देश है की ईश्वर भी वही होता है जहाँ पर मानवीय गुण यथा दया भाव, सत्य, अहिंसा, परोपकार आदि होते हैं। दया के अभाव में ईश्वर नहीं है। जहाँ पर क्रोध है वहां ही पाप है क्योंकि क्रोध विवेक को हर लेता है और क्रोध के कारण ही पाप होते हैं। क्रोध में व्यक्ति अच्छे और बुरे का भेद नहीं कर पाता है। क्रोध में व्यक्ति सदैव ही अनैतिक कार्य ही करता है। इसके अतिरिक्त जहाँ पर क्षमा है वहां पर इश्वर है।