लूट सके तो लूट ले राम नाम की लूट हिंदी मीनिंग Lut Sake To Lut Le Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit
लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट।
पाछे फिरे पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट॥
पाछे फिरे पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट॥
Or
लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट।
पाछे फिर पछ्ताओगे, प्राण जाहि जब छूट॥
पाछे फिर पछ्ताओगे, प्राण जाहि जब छूट॥
Loot Sake To Loot Le, Ram Nam Ki Lut,
Pachhe Phire Pachhaoge, Pran Janhi Jab Chhoot.
लूट सके तो लूट ले राम नाम की लूट शब्दार्थ Word Meaning of Kabir Doha
- लूट : राम नाम की लूट जिसका कोई मोल नहीं है और राम नाम ही अमूल्य है।
- सके तो : यदि सक्षम हो तो।
- लूट ले : राम नाम का सुमरिन कर लो।
- राम नाम की लूट : राम नाम की लूट है / इसका कोई मोल नहीं है।
- पाछे : उपरान्त, जीवन समाप्त हो जाने के बाद।
- फिरे : फिर/उपरान्त।
- पछताओगे : हाथ मलते रह जाना क्योंकि जीवन सीमित समय के लिए है और एक रोज यह समाप्त हो जाना है।
- प्राण जाहिं जब छूट : जब हम मृत्यु को प्राप्त होंगे।
दोहे का हिंदी अर्थ / भावार्थ : कबीर साहेब के इस दोहे का अर्थ है की राम नाम की लूट मची है, अभी तुम भगवान् का जितना नाम लेना चाहो ले लो। हरी के नाम सुमिरन की कोई बाध्यता और सीमा नहीं है। समय व्यतीत हो जाने के उपरान्त अर्थात मर जाने के बाद पछताओगे कि मैंने तब राम भगवान् की पूजा क्यों नहीं की, इसलिए पछताने से बेहतर है की हरी के नाम का नाम लें। हरी के नाम की लूट है, इसका कोई मोल नहीं है, तुम जितना चाहो उतना इसको लूट सकते हो, इसका की मोल भी नहीं है। इस जीवन में जितना राम नाम तुम इकठ्ठा कर सकते हो, कर लो। एक रोज जब प्राण इस देह को छोड़ देंगे तो फिर पुनः अवसर नहीं मिलेगा और तुम महज पछताते रह जाओगे।
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जीवन रहते तुम्हारे पास समय है और तुम भगवान के नाम की लूट कर सकते हो, यानी हरी के नाम का सुमिरन कर सकते हो। यहाँ 'लूट' का मतलब है हरी के नाम का सुमिरन। साहेब का सन्देश है कि आध्यात्मिक साधना, भगवान की उपासना और धर्मिक कर्तव्यों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें अपने जीवन इन्ही कार्यों के लिए प्राप्त हुआ है इसे व्यर्थ ही माया के जाल में फंसकर समाप्त मत करो।