जद कृष्ण लया अवतार लिरिक्स Jad Krishna Liya Avtar Lyrics
जद कृष्ण लया अवतार लिरिक्स Jad Krishna Liya Avtar Lyrics
जद कृष्ण लया अवतार,जद कृष्ण लया अवतार,
कंबया कंस दा दरबार,
खुल गए जंदरे ते,
खुल गईया हथकड़ियां।
काले काले बदलां ने,
जादू केडा पाया सी,
देवकी दी गोद विच,
जद शाम आया सी,
जागे देवकी दे पाग,
सारे फुल बरसान,
खुल गए जंदरे ते,
खुल गईया हथकड़ियां,
जद कृष्ण लया अवतार।
देवकी ने चुक ओनू,
गोदी विच पा लया,
पे गई सीने ठंड,
अपना बना लया,
जावा चरणा तो बलिहार,
सारे बोलो जय जयकार,
खुल गए जंदरे ते,
खुल गईयां हथकड़ियां,
जद कृष्ण लया अवतार।
वसुदेव चुक लया,
आंख दे तारे नू,
यमुना दे पार कीता,
राज दुलारे नू,
ओ ते यमुना आ गई बार,
जावा चरणा तो बलिहार,
खुल गए जंदरे ते,
खुल गईयां हथकड़ियां,
जद कृष्ण लया अवतार।
पहुंचे नंद जी दे,
द्वार वासुदेव,
सारे बोलो,
जय जय कार वासुदेव,
खुल गए जंदरे ते,
खुल गयियां हथकड़ियां,
जद कृष्ण लया अवतार,
कंबया कंस दा दरबार,
खुल गए जंदरे ते,
खुल गईया हथकड़ियां।
SSDN:-जद कृष्ण लया अवतार | Janmashtami bhajan | Krishna bhajan | Radha Krishna bhajan
कृष्णा जन्माष्टमी हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जो हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो विष्णु के आठवें अवतार हैं।
कृष्णा जन्माष्टमी का त्योहार भारत के अलावा अन्य देशों में भी मनाया जाता है, जहां हिंदू रहते हैं। यह एक ऐसा त्योहार है जो हिंदू संस्कृति और आस्था को दर्शाता है।
कृष्णा जन्माष्टमी का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में देवकी और वसुदेव की आठवीं संतान के रूप में हुआ था। देवकी के पिता, कंस, एक अत्याचारी राजा थे, जिन्होंने भविष्यवाणी के अनुसार, अपने भतीजे कृष्ण को मारने का प्रयास किया था। लेकिन वसुदेव, भगवान कृष्ण को मथुरा से गोकुल ले गए, जहां उन्हें यशोदा और नंद ने गोपाल के रूप में पाला। कृष्णा एक महान योद्धा और दार्शनिक थे। उन्होंने अपने जीवन में कई चमत्कार किए और कंस को मारकर मथुरा को उसके आतंक से मुक्त कराया। कृष्ण ने हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक, भगवद्गीता का उपदेश दिया।
कृष्णा जन्माष्टमी का हिंदुओं के लिए बहुत महत्व है। यह भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाता है, जो हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक व्यक्तित्व हैं। कृष्णा को प्रेम, करुणा और दया के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। कृष्णा जन्माष्टमी का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है। कंस एक अत्याचारी राजा था, जो लोगों को प्रताड़ित करता था। कृष्ण ने उसे मारकर लोगों को उसके आतंक से मुक्त कराया। यह एक महत्वपूर्ण संदेश है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर जीतती है।
कृष्णा जन्माष्टमी का त्योहार भारत के अलावा अन्य देशों में भी मनाया जाता है, जहां हिंदू रहते हैं। यह एक ऐसा त्योहार है जो हिंदू संस्कृति और आस्था को दर्शाता है।
कृष्णा जन्माष्टमी का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में देवकी और वसुदेव की आठवीं संतान के रूप में हुआ था। देवकी के पिता, कंस, एक अत्याचारी राजा थे, जिन्होंने भविष्यवाणी के अनुसार, अपने भतीजे कृष्ण को मारने का प्रयास किया था। लेकिन वसुदेव, भगवान कृष्ण को मथुरा से गोकुल ले गए, जहां उन्हें यशोदा और नंद ने गोपाल के रूप में पाला। कृष्णा एक महान योद्धा और दार्शनिक थे। उन्होंने अपने जीवन में कई चमत्कार किए और कंस को मारकर मथुरा को उसके आतंक से मुक्त कराया। कृष्ण ने हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक, भगवद्गीता का उपदेश दिया।
कृष्णा जन्माष्टमी का हिंदुओं के लिए बहुत महत्व है। यह भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाता है, जो हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक व्यक्तित्व हैं। कृष्णा को प्रेम, करुणा और दया के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। कृष्णा जन्माष्टमी का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है। कंस एक अत्याचारी राजा था, जो लोगों को प्रताड़ित करता था। कृष्ण ने उसे मारकर लोगों को उसके आतंक से मुक्त कराया। यह एक महत्वपूर्ण संदेश है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर जीतती है।