ऐसी मोहन ने मुरली बजाई
ऐसी मोहन ने मुरली बजाई
ऐसी मोहन ने मुरली बजाई,सारी गोपी है सुनने को आई।
ऐसी मधुर बजाई,
तूने मुरली की तान,
मैं तो जाती झूम,
जब सुनते है कान,
मैं खुद को रोक न पाई,
सारी गोपी है सुनने को आई,
ऐसी मोहन ने मुरली बजाई,
सारी गोपी है सुनने को आई।
तेरी मुरली में जाने क्या जादू भरा,
मेरे मन में न रहता काबू मेरा,
ऐसा जादू तुने दिखलाई,
सारी गोपी सुनने को आई,
ऐसी मोहन ने मुरली बजाई,
सारी गोपी है सुनने को आई।
मोहन मुझको भी,
मुरली बना लीजिये,
अपने होठो पे मुझको,
सजा लीजिये,
सपने में भी देती सुनाई,
सारी गोपी है सुनने को आई,
ऐसी मोहन ने मुरली बजाई,
सारी गोपी है सुनने को आई।
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