हाड़ जलै ज्यूँ लाकड़ी केस जले ज्यूँ घास मीनिंग Had Jale Jyu Lakadi Meaning

हाड़ जलै ज्यूँ लाकड़ी केस जले ज्यूँ घास मीनिंग Had Jale Jyu Lakadi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

हाड़ जलै ज्यूँ लाकड़ी, केस जले ज्यूँ घास।
सब तन जलता देखि करि, भया कबीर उदास॥ 
 
Had Jale Jyu Lakadi Kesh Jale Jyu Ghas,
Sab Tan Jalata Dekhi Kari, Bhaya Kabir Udas.
 
हाड़ जलै ज्यूँ लाकड़ी केस जले ज्यूँ घास मीनिंग Had Jale Jyu Lakadi Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

जीव नश्वर है और इस पर कबीर साहेब कहते हैं की एक रोज यह जीवन समाप्त हो जाना है। हड्डियां ऐसे जलती हैं जैसे लकड़ी जलती है। बाल ऐसे जलते हैं जैसे सुखी घास जलती है। मृत्यु उपरान्त समस्त तन जलता देखकर कबीर साहेब उदास हो उठते हैं। कबीर साहेब को ऐसे में उदासी हो गई है। कबीर दास जी इस दोहे में शरीर की नश्वरता का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि शरीर की हड्डियाँ मरने के बाद लकड़ियों की तरह जल जाती हैं और बाल घास की तरह। यह सब देखकर कबीर जी को उदास हो गया। उन्हें संसार के प्रति विरक्ति हो गई।
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