आस करै बैकुंठ की दुरमति तीनो काल हिंदी मीनिंग Aas Kare Bekunth Ki Meaning, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit/Bhavarth
आस करै बैकुंठ की, दुरमति तीनो काल,
सुक्र कही बलि ना करै, तातो गयो पताल।
Aas Kare Bekunth Ki, Durmati Teeno Kal,
Sukra Kahin Bali Na Kare, Tato Gayo Patal.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
जो साधक गुरु के वचनों से विमुख चलता है वह तीनों ही काल में दर्मती का शिकार बनता है। भले ही वह स्वर्ग में जानी की इच्छा करे लेकिन यह संभव नहीं हो पाता है। शुक्र के निर्देशों की पालना बलि ने नहीं की है, इसलिए उसे पाताल में जाना पड़ा। कबीर के दोहे में, वे गुरु की आज्ञा का पालन करने के महत्व और गुरु के आदेशों की अवहेलना के परिणामों को बता रहे हैं। वे कहते हैं कि जो व्यक्ति गुरु के आदेशों की अवहेलना करता है, वह अपने जीवन को बर्बाद कर देता है।
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |