नैनाँ अंतरि आव तूँ ज्यूँ हौं नैन झँपेऊँ हिंदी मीनिंग Naina Antari Aav Tu Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit/Bhavarth
नैनाँ अंतरि आव तूँ, ज्यूँ हौं नैन झँपेऊँ।
नाँ हौं देखौं और कूँ, नाँ तुझ देखन देऊँ॥
Naina Antari Aav Tu, Jyu Ho Nain Jhapeu,
Na Ho Dekho Aur Ku, Na Tujh Dekhn Deu.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब इस दोहे में कह रहे हैं की आत्मारूपी प्रियतमा कह रही है कि तुम मेरे नयनों में आओ, आपके आते ही मैं अपने नेत्रों को बंद करके रख लुंगी। मैं आपको किसी और को देखने नहीं दूंगी और ना मैं किसी और को देखूंगी। आशय है जीवात्मा अपने प्रिय परमात्मा से एकाकार होना चाहती है। कबीर दास जी की इस साखी में, आत्मा रूपी प्रियतमा अपने प्रियतम, ईश्वर से कह रही है कि वह उसके नेत्रों में आ जाए। उसका अर्थ यह है कि वह ईश्वर को अपने मन में बसाए।