नर नारी सब नरक है जब लग देह सकाम हिंदी मीनिंग Nar Nari Sab Narak Hai Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit
नर नारी सब नरक है, जब लग देह सकाम।
कहै कबीर ते राम के, जैं सुमिरैं निहकाम॥
Nar Nari Sab Narak Hai, Jab Lag Deh Sakam,
Kahe Kabir Te Ram Ke, Je Sumire Nihkam.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब इस दोहे में काम भावना को त्यागने के सम्बन्ध में विचार देते हैं की समस्त ऐसे नर और नारी नरक के समान हैं जो देह से काम भावना से ग्रसित हैं। कबीर साहेब कहते हैं की राम / इश्वर उनके ही हैं जो निष्काम भावना से हरी के नाम का सुमिरन करते हैं। जब तक मानव शरीर काम भावना से युक्त होता है, तब तक वह नरक स्वरूप है। यह काम भावना व्यक्ति को सांसारिक लालसाओं और वासनाओं में फंसाती है, जिससे वह परमात्मा से दूर हो जाता है। कबीर कहते हैं कि जो व्यक्ति काम भावना से मुक्त होकर परमात्मा का स्मरण करता है, वह वास्तविक भक्त है। ऐसा व्यक्ति परमात्मा को प्राप्त कर सकता है और मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |