पढ़ते गुनते जनम गया आशा लगि मीनिंग

पढ़ते गुनते जनम गया आशा लगि हेत मीनिंग

पढ़ते गुनते जनम गया, आशा लगि हेत,
बोया बिजहि कुमति ने, गया जु निरमल खेत।
या
पढ़ते-पढ़ते जनम गया, आसा लागी हेत।
बोया बीजहि कुमति ने, गया जू निर्मल खेत।।

Padhate Gunate Janam Gaya, Aasha lagi Het,
Boya Bijahi Kumati Ne, Gaya Ju Nirmal Khet.

पढ़ते गुनते जनम गया आशा लगि हेत मीनिंग Padhate Gunate Janam Gaya Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning

इस दोहे में कबीर साहेब की वाणी है की पढ़ते और मनन करते हुए जीवन ही बीत गया है, लेकिन आशा और और कामनाएं अभी भी साथ ही हैं, समाप्त नहीं हुए हैं। कुमति के बीज जो बोया गया है, उससे निर्मल खेत भी बंजर हो गया है। आशय है की कामनाएं, विषय विकार सम्पूर्ण जीवन को उद्देश्यविहीन कर देती है।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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