पढ़ते गुनते जनम गया आसा लोगी हेत मीनिंग Padhte Gunate Janam Gaya Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
पढ़ते गुनते जनम गया, आसा लोगी हेतबोया बीजहि कुमति ने, गया जू निर्मल खेत
Padhate Gunate Janam Gaya, Aasa Logi Het,
Boya Beejahi Kumati Ne, Gaya Ju Nirmal Khet.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
संत कबीरदास जी के इस दोहे में उन्होंने जीवन की व्यर्थता और सांसरिक मोह के खतरे के बारे में बताया है। कबीरदास जी कहते हैं कि हम पढ़ते और समझते रहते हैं, लेकिन फिर भी हमारा जीवन व्यर्थ चला जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम सांसरिक विषयों में ही लिप्त रहते हैं। हम अपने जीवन का उद्देश्य खो देते हैं और उसे व्यर्थ में ही बर्बाद कर देते हैं। जो हम पढ़ते हैं उसे अपने जीवन में नहीं उतारते हैं, अतः ज्ञान व्यर्थ ही चला जाता है.
कबीरदास जी कहते हैं कि कुमति मनुष्य को सांसरिक मोह में फंसा देती है। कुमति ऐसा बीज बो देती है जो मनुष्य के जीवन रूपी खेत को नष्ट कर देता है। कुमति हमें लालच, ईर्ष्या, घृणा और अन्य नकारात्मक भावनाओं में फंसा देती है। इन भावनाओं के कारण हम दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं और अपने आप को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
कबीरदास जी कहते हैं कि कुमति मनुष्य को सांसरिक मोह में फंसा देती है। कुमति ऐसा बीज बो देती है जो मनुष्य के जीवन रूपी खेत को नष्ट कर देता है। कुमति हमें लालच, ईर्ष्या, घृणा और अन्य नकारात्मक भावनाओं में फंसा देती है। इन भावनाओं के कारण हम दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं और अपने आप को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
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