यह मन ताको दीजिये साँचा सेवक होय हिंदी मीनिंग Yah Man Tako Dijiye Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit/Bhavarth
यह मन ताको दीजिये, साँचा सेवक होय |
सिर ऊपर आरा सहै, तऊ न दूजा होय ||
Yah Man Tako Dijiye, Sancha Sevak Hoy,
Sir Upar Aara Sahe, Tau Na Duja Hoy.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब की वाणी है की हमें अपने गुरु के प्रति समर्पित होना चाहिए। गुरु के विषय में साहेब कहते हैं की गुरु कैसा हो, इसकी पहचान साहेब यहाँ पर बता रहे हैं। वे कहते हैं की साधक को अपना हृदय उसे देना चाहिए जो इश्वर का सच्चा सेवक हो। ऐसा व्यक्ति अपने सर के ऊपर आरा सहता है लेकिन फिर भी अपने पथ से विमुख नहीं होता है। कबीर दास जी इस दोहे में गुरु और शिष्य के संबंधों के बारे में बात कर रहे हैं। वे कहते हैं कि गुरु को अपना उपदेश सच्चे सवेक को ही देना चाहिए। सवेक का अर्थ है आत्म-विश्वास या आत्म-ज्ञान। सच्चे सवेक वाला व्यक्ति वह है जो अपने गुरु की आज्ञा का पालन करने के लिए तैयार है, चाहे उसे कितनी भी कठिनाई का सामना करना पड़े। कबीर दास जी कहते हैं कि ऐसा शिष्य सच्चे गुरु का है जो सिर पर आरा सहकर भी, भक्ति से विमुख होने का भाव न लाये।