ये तो प्रेम की बात है उधो भजन लिरिक्स Ye To Prem Ki Bat Hai Udho Lyrics

श्रीमद्भागवत के दशम स्कन्ध के सैंतालीसवे अध्याय में उद्धव-गोपी संवाद का वर्णन है। इस संवाद में गोपियों का श्रीकृष्ण के प्रति असीम प्रेम और भक्ति प्रकट होती है। श्रीकृष्ण व्रज छोड़कर मथुरा जाते हैं। गोपियाँ उनके विरह में व्याकुल हो जाती हैं। वे श्रीकृष्ण को वापस लाने के लिए उद्धवजी को व्रज भेजती हैं। उद्धवजी गोपियों को समझाने का प्रयास करते हैं, लेकिन गोपियाँ श्रीकृष्ण के बिना एक पल भी नहीं रहना चाहती हैं। वे उद्धवजी से कहती हैं कि श्रीकृष्ण ही उनका सब कुछ हैं। उनके बिना उनका जीवन व्यर्थ है। उद्धवजी गोपियों के प्रेम को देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं। वे गोपियों के शिष्य बन जाते हैं और उन्हें श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम की शिक्षा देते हैं। अंत में, भगवान श्रीकृष्ण गोपियों के प्रेम को देखकर प्रसन्न होते हैं और उन्हें दर्शन देते हैं।

Naye Bhajano Ke Lyrics

ये तो प्रेम की बात है उधो भजन लिरिक्स Ye To Prem Ki Bat Hai Udho Lyrics

ये तो प्रेम की बात है उधो,
बंदगी तेरे बस की नहीं है,
यहाँ सर देके होते सौदे,
आशिकी इतनी सस्ती नहीं है,
ये तो प्रेम की बात है उधो..........।

प्रेम वालों ने कब वक्त पूछा,
उनकी पूजा में सुन ले ए उधो,
यहाँ दम दम में होती है पूजा,
सर झुकाने की फुर्सत नहीं है,
ये तो प्रेम की बात है उधो..........।

जो असल में हैं मस्ती में डूबे,
उन्हें क्या परवाह ज़िन्दगी की,
जो उतरती है चढ़ती है मस्ती,
वो हकीकत में मस्ती नहीं है,
ये तो प्रेम की बात है उधो..........।

जिसकी नजरो में है श्याम प्यारे,
वो तो रहते हैं जग से न्यारे,
जिसकी नज़रों में मोहन समाये,
वो नज़र फिर तरसती नहीं है,
ये तो प्रेम की बात है उधो..........।

ये तो प्रेम की बात है उधो,
बंदगी तेरे बस की नहीं है,
यहाँ सर देके होते सौदे,
आशिकी इतनी सस्ती नहीं है,
ये तो प्रेम की बात है उधो..........।
 



कृष्णजी का ऐसा भजन जिसे आप बार बार सुनना पसंद करोगे ~ये तो प्रेम की बात है उधो #मृदुल कृष्ण शास्त्री

 
उद्धव - गोपी संवाद में भ्रमरगीत का प्रयोग एक सफल प्रयोग है। भ्रमरगीत का प्रयोग करके सूरदास ने इस संवाद को अधिक रोचक और आकर्षक बना दिया है। भ्रमरगीत के माध्यम से सूरदास ने गोपियों के प्रेम और भक्ति की भावनाओं को प्रभावशाली रूप से व्यक्त किया है।

भ्रमरगीत का प्रयोग करते समय सूरदास ने एक भौंरे को माध्यम बनाया है। भौंरा एक ऐसा जीव है जो पुष्पों से रसपान करता है। गोपियों ने अपने प्रेम और भक्ति की भावनाओं को भौंरे की गतिविधियों के माध्यम से व्यक्त किया है।
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