कात्यायनी माता आरती

"कात्यायनी" अमरकोष में पार्वती के लिए दूसरा नाम है। अमरकोष एक संस्कृत शब्दकोश है जिसे 11वीं शताब्दी में अमरसिंह ने लिखा था। इसमें देवी पार्वती के कई नामों का उल्लेख किया गया है, जिनमें कात्यायनी भी शामिल है। स्कन्द पुराण में भी देवी कात्यायनी का वर्णन किया गया है। स्कन्द पुराण में कहा गया है कि देवी कात्यायनी भगवान शिव की शक्ति हैं। उन्होंने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था।

कात्यायनी माता आरती

जय कात्यायनी माता,
कात्यायनी माता,
जय कात्यायनी माता,
सुख सृष्टि में पाये,
जो तुमको ध्याता,
जय कात्यायनी माता।

आदि अनादि अनामय,
अविचल अविनाशी,
मैया अविचल अविनाशी,
अटल अनन्त अगोचर,
अज आनन्द राशि,
जय कात्यायनी माता।

लाल ध्वजा नभ चूमत,
मन्दिर पे तेरे,
मैया मंदिर पे तेरे,
जगमग ज्योति माँ जगती,
भक्त रहें घेरे,
जय कात्यायनी माता।

केसत चित सुखदाई,
शुद्ध ब्रह्म रूपा,
मैया शुद्ध ब्रह्म रूपा,
सत्य सनातन सुन्दर,
शक्ति स्वरूपा,
जय कात्यायनी माता।

दसवे दानव दुर्गा,
नाना शास्त्र करा,
मैया नाना शास्त्र करा,
अष्ट मात्र का योगिनी,
नव नव रूप धरा,
जय कात्यायनी माता।

महिषासुर संघारिणी,
दुर्गुण सभी हरो,
मैया दुर्गुण सभी हरो,
दोष विकार मिटाके,
पावन हमें करो,
जय कात्यायनी माता।

छठे नवरात्रे को जो,
पूजे तुम्हे माई,
जो पूजे तुम्हे माई,
उसने दयामयी माँ,
तेरी कृपा पाई,
जय कात्यायनी माता।

हम अति दीन दुखी हैं,
कृपा जरा करिये,
मैया कृपा जरा करिये,
हैं माँ दोष बहुत पर,
आप ना ध्यान धरिये,
जय कात्यायनी माता।

हे कात्यायनी मैया,
आरती तेरी गाते,
मैया आरती तेरी गाते,
ना धन चाहें ना सोना,
प्यार तेरा चाहते,
जय कात्यायनी माता।

जय कात्यायनी माता,
कात्यायनी माता,
जय कात्यायनी माता,
सुख सृष्टि में पाये,
जो तुमको ध्याता,
जय कात्यायनी माता।
 



नवरात्री का छठा दिन - मां कात्यायनी की आरती Katyayani Mata Aarti | Navratri 6th Day | Mata Ki Aarti
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