मान तजा तो क्या भया मन का मता न जाय मीनिंग Maan Taja To Kya Bhaya Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
मान तजा तो क्या भया, मन का मता न जायसंत वचन मानै नहीं, ताको हरि न सुहाय
Man Taja To Kya Bhaya, Man Ka Mata Na Jay,
Sant Vachan Mane Nahi, Tako Hari Na Suhay.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
संत शिरोमणि कबीर साहेब का सन्देश है कि अहंकार त्यागने से कुछ नहीं होने वाला नहीं है जब तक हम अपने मन को वश में नहीं कर लेते। व्यक्ति मन के ही वश में रहता है और विवेक से काम नहीं लेता है, मन ही हमारा सबसे बड़ा शत्रु है। यह हमें हमेशा बुरे कामों के लिए प्रेरित करता है। जब तक हम अपने मन पर नियंत्रण नहीं पाते तब तक हम ईश्वर की भक्ति में सफल नहीं हो सकते। मन के अधीन व्यक्ति को इश्वर की भक्ति भी पसंद नहीं आती है क्योंकि उसका मन अभी भी सांसारिक / भौतिक मोह माया में ही घिरा हुआ रहता है.
संत कबीरदास जी कहते हैं कि जो मनुष्य संतों के वचन नहीं सुनता, उसे भगवान भक्ति कभी अच्छी नहीं लग सकती, क्योंकि अभी वह अपने मन के वश में है।ऐसे व्यक्ति को संत वचन भी ठीक नहीं लगे लगते हैं और वह उनका अनुसरण नहीं करता है, ऐसे में वह कैसे हरी की भक्ति कर सकता है.
संत कबीरदास जी कहते हैं कि जो मनुष्य संतों के वचन नहीं सुनता, उसे भगवान भक्ति कभी अच्छी नहीं लग सकती, क्योंकि अभी वह अपने मन के वश में है।ऐसे व्यक्ति को संत वचन भी ठीक नहीं लगे लगते हैं और वह उनका अनुसरण नहीं करता है, ऐसे में वह कैसे हरी की भक्ति कर सकता है.
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