पढ़ते-पढ़ते जनम गया आसा लागी हेत मीनिंग Padhte Padhte Janam Gaya Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
पढ़ते-पढ़ते जनम गया, आसा लागी हेत।बोया बीजहि कुमति ने, गया जू निर्मल खेत।।
Padhate Padhte Janam Gaya, Aasa Lagi Het,
Boya Beejahi Kumati Ne, Gaya Ju Nirmal Khet.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब का इस दोहे में सन्देश है की केवल पढने लिखने और उसे याद करने से कोई लाभ नहीं होने वाला है. सच्ची भक्ति तो आत्मिक होती है, भौतिक नहीं. साहेब ने देखा की कैसे लोग रटंत विद्या को ही वास्तविक भक्ति समझने लग गए हैं लेकिन उन्होंने उस ज्ञान को अपने जीवन में नहीं उतारा है. ऐसे में साहेब ने सन्देश दिया है की यदि वास्तविक भक्ति करनी है तो हमें हृदय से इश्वर के नाम का सुमिरन करना चाहिए और तमाम तरह के विषय विकारों को छोड़ देना चाहिए.कुमति रूपी बीज से मानव जीवन रूपी खेत में विषय विकार ही उत्पन्न होगे, कोई भी लाभकारी वस्तु की उपज नहीं होगी.
अतः साधक को चाहिये की वह सूक्ष्म रूप से भक्ति करे और हरी के सुमिरन में अपने जीवन को समर्पित कर दे साथ ही कुमति से दूर रहकर तमाम तरह के आडम्बर और दिखावे से दूर रहे.
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