माला पहिरे मनमुषी ताथैं कछू न होई मीनिंग

माला पहिरे मनमुषी ताथैं कछू न होई मीनिंग Mala Pahire Manmukhi Meaning : kabir Ke Dohe Hindi

माला पहिरे मनमुषी, ताथैं कछू न होई।
मन माला कौं फेरता, जग उजियारा सोइ॥
 
Mala Pahire Mankukhi, Tathe Kachhu Na Hoi,
Man mala Ko Pherata Jag Ujiyara Soi.
 
माला पहिरे मनमुषी ताथैं कछू न होई मीनिंग Mala Pahire Manmukhi Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब ने इस दोहे में आडम्बर और दिखावे की भक्ति पर चोट की है. वे कहते हैं की भक्त माला को धारण कर लेते हैं लेकिन उनमे मन में अभी विषय और विकार भरे पड़े हैं, ऐसे में वे कैसे भक्ति कर सकते हैं. भक्ति के बिना केवल बाहरी दिखावा करना कोई मायने नहीं रखता। लोग मनमुखी माला को तो धारण कर लेते हैं, पहन लेते हैं लेकिन अपने मन की माला को नहीं फिराते हैं. मल की माला को फेरने से ही तमाम अवगुणों का बोध होता है और व्यक्ति सच्ची भक्ति की तरफ अग्रसर होता है. यदि मन की माला को फिरा लिया जाए तो तमाम जगत में उजियारा हो उठेगा, आशय है की व्यक्ति का मानव जीवन सफल हो जाएगा.

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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