पीछे लागा जाइ था लोक वेद के साथि हिंदी मीनिंग Pichhe Laga Jai Tha Lok Ved Meaning : Kabir Ke Dohe
पीछे लागा जाइ था, लोक वेद के साथि।आगैं थैं सतगुर मिल्या, दीपक दीया हाथि॥
Pichhe Laga Jai Tha, Lok Ved Ke Sathi,
Aage The Satgur Milaya, Deepak Diya Hathi
हिंदी अर्थ : इस दोहे में कबीर साहेब आत्म प्रकाश के सम्बन्ध में सन्देश देते हैं की गुरु के अभाव में साधक लोगों का अनुसरण करके (कर्मकांड और किताबी ज्ञान) वेदों के पीछे चला जा रहा था, वेदों का अनुसरण कर रहा था. आगे चलने पर उसे सतगुरु मिल गए और उन्होंने ज्ञान रूपी दीपक उनके हाथों में रख दिया जिससे उनके समस्त भ्रम मिट गए. इससे उनकी अन्धानुसरण की प्रवृति समाप्त हो गई. विशेष है की इस दोहे में रुपकातिश्योक्ति और छेकानुप्राश अलंकार का उपयोग हुआ है.
शिष्य लोकानुमोदित मार्ग का अन्य अनुसरण करता हुआ जा रहा था। परन्तु आगे सतगुरु के दर्शन हुए। उन्होंने ज्ञान का दीपक हाथ में थमा दिया. सतगुरु की महान अनुकम्पा इसलिए हो कि उसने अन्धानुकरण और लोक वेद प्रतिपादित मार्ग को निःसार हो गया है.
शब्दार्थ—
शब्दार्थ—
- पीछैं = अनुकरण।
- साथि = साथ।
- मिल्या = मिला।
- दीया = दिया, प्रदान किया।
Meaning in English : In this Doha, Kabir Saheb conveys a message about the connection to the inner light. In the absence of a Guru, the seeker was wandering in ignorance, following rituals and scriptural knowledge, trailing behind the Vedas. As he progressed, he encountered the Satguru, who placed the lamp of knowledge in his hands, dispelling all his illusions. This brought an end to his tendency to blindly follow, specifically highlighting the use of metaphor and alliteration in this couplet.
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |