राम नाम कै पटंतरै देबै कौं कुछ नाँहि मीनिंग Ram Nam Ke Patantare Debe Meaning : Kabir Ke Dohe
राम नाम कै पटंतरै देबै कौं कुछ नाँहि।क्या ले गुरु संतोषिए, हौस रही मन माँहि॥४॥
Ram Nam Ke Patantere Deko Ko Kuch Nahi,
Kya Le Guru Santoshiye, Hous Rahi Man Mahi.
भावार्थ : कबीर साहेब के इस दोहे का अर्थ है की गुरु ने शिष्य को राम का नाम दिया है, भक्ति दी है लेकिन बदले में देने के लिए साधक के पास कुछ भी नहीं है। गुरु के ज्ञान के बदले में क्या दिया जाए तो गुरु के द्वारा प्रदत्त भक्ति के समकक्ष हो, ऐसी भावना शिष्य के मन में ही रह गई है, अर्थात उसे ऐसा कुछ प्रतिदान हेतु कुछ भी नहीं मिला है। शिष्य के मन में हौसला, अभिलाषा, आकांक्षा अपूर्ण एवं बलवती बनी हुई है कि सतगुरु के महान् व्यक्तित्व की अनुकूल कौन-सी वस्तु प्रतिदान में गुरु को भेंट दी जाय।
Meaing in English : The Guru has bestowed upon the disciple the precious gift of Ram's name and devotion, but the disciple feels empty-handed. Despite receiving such immense knowledge and guidance, the disciple grapples with the lack of a worthy offering to repay the Guru's generosity. The yearning to reciprocate for the Guru's profound gift weighs heavily on the disciple's mind. He desperately seeks a suitable offering, something worthy of the Guru's greatness, to express his gratitude and honor.
इस दोहे के शब्दार्थ
- पटंतरै-समान, बराबर, के समकक्ष।
- देवै—देने योग्य, देने के लिए।
- कौ—को।
- ले—दे, देकर।
- सन्तोषिए—प्रसन्न कीजिए, जिससे प्रसन्न किया जा सके।
- हौसं = हौसला—इच्छा, आकांक्षा, मन की कामना।
- मनमाँहि : मन के भीतर।