जीव अष्टकम् Jeev Ashtkama

जीव अष्टकम् Jeev Ashtkama


जीव अष्टकम् Jeev Ashtkama


अहम् अचिन्त्यः अमरः नित्यरूपः
अहम् सत्यः सत्यांशः सत्यस्वरूपः
अहम् अक्लेद्यश्च अदाह्यः अशोष्यः
अहम् कृष्णदासः अहम् कृष्णदासः ।। १ ।।

नाहं ब्रह्मा विष्णु च रुद्रः वसवः
नाहं आदित्यो मरुतः यक्षः देवः
नाहं बालः वृद्धश्च नारी पुरुषः
अहम् कृष्णदासः अहम् कृष्णदासः ।। २ ।।

अहम् अजन्मा अव्ययः मुक्त सत्यः
अहम् कूटस्थ अचल पुरुषः नित्यः
अहम् कृष्णांशः कृष्णदेवस्य अंशः
अहम् कृष्णदासः अहम् कृष्णदासः ।। ३ ।।

नाहम् एतत् देहश्च न तस्य अंगः
नाहं कस्य संगश्च नाहम् असंगः
नाहं पंचप्राणः नाहं पंचकोषः
अहम् कृष्णदासः अहम् कृष्णदासः ।। ४ ।।

अहम् गुणातीतः अहम् कालातीतः
अहम् आनन्द शिव स्वरूपः सत्यः
अहम् चिदानन्दः अहम् कृष्णस्य दासः
अहम् कृष्णदासः अहम् कृष्णदासः ।। ५ ।।

अहम् तेन सह एकत्वं सम्बन्धम्
अहम् तेन सह सम्बन्धं पृथक्
अहम् तदभेदाभेदश्च अचिन्त्यम्
अहम् कृष्णदासः अहम् कृष्णदासः ।। ६ ।।

अहम् विस्मृतवान् मम रूपः शुद्धः
अहम् माया अनले देहे आबद्धः
अहम् शतशतः आशया निबद्धः
अहम् कृष्णदासः अहम् कृष्णदासः ।। ७ ।।

अहम् कृष्णदासः अहम् कृष्णदासः
अहम् कृष्णदासः अहम् कृष्णदासः
अहम् कृष्णदासः अहम् कृष्णदासः
अहम् कृष्णदासः अहम् कृष्णदासः ।। ८ ।।

|| इति श्री कृष्णदास विरचित जीव अष्टकम् सम्पूर्णम् ||


जीव अष्टकम् | Jeev Ashtakam | #jeevashtakam #jeevatma #jeevatma and parmatma

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Jeev Ashtakam
Aham Achintyah Amarah Nityaroopah
Aham Satyah Satyaanshah Satyaswaroopah
Aham Akladyashch Adahyah Ashoshyah
Aham Krishnadasah Aham Krishnadasah ।। 1 ।।

Naaham Brahma Vishnu Cha Rudrah Vasavah
Naaham Aadityo Marutah Yakshah Devah
Naaham Baalah Vriddhashcha Naari Purushah
Aham Krishnadasah Aham Krishnadasah ।। 2 ।।

Aham Ajanma Avyayah Mukt Satyah
Aham Kootasth Achal Purushah Nityah
Aham Krishnanshah Krishnadevasya Anshah
Aham Krishnadasah Aham Krishnadasah ।। 3 ।।

Naaham Etat Dehashch Na Tasya Angah
Naaham Kasy Sangashch Naaham Asangah
Naaham Panchapranah Naaham Panchakoshah
Aham Krishnadasah Aham Krishnadasah ।। 4 ।।

Aham Gunateetah Aham Kaalateetah
Aham Anand Shiv Swaroopah Satyah
Aham Chidanandah Aham Krishnasya Dasah
Aham Krishnadasah Aham Krishnadasah ।। 5 ।।

Aham Ten Sah Ekatvam Sambandham
Aham Ten Sah Sambandham Prithak
Aham Tadabhedabhedashch Achintyah
Aham Krishnadasah Aham Krishnadasah ।। 6 ।।

Aham Vismritvaan Mam Roopah Shuddhah
Aham Maya Anale Dehe Abaddhah
Aham Shatashatah Aashaya Nibaddhah
Aham Krishnadasah Aham Krishnadasah ।। 7 ।।

Aham Krishnadasah Aham Krishnadasah
Aham Krishnadasah Aham Krishnadasah
Aham Krishnadasah Aham Krishnadasah
Aham Krishnadasah Aham Krishnadasah ।। 8 ।।
|| Iti Shri Krishnadas Virachit Jeev Ashtakam Sampurnam ||
 
श्री कृष्ण जीवों के परम आराध्य हैं, जो अनादि और अविनाशी हैं। भजन में जीव की आत्मा की शुद्धता और भगवान कृष्ण से संबंध की व्याख्या की गई है। आत्मा, जो न कभी जन्म लेती है और न मरती है, कृष्ण की सेवा में ही अपने अस्तित्व का सार पाती है। यह भजन हरि भक्ति का गान करता है और जीवन के सत्य स्वरूप को दर्शाता है।
 
Hindi Bhagavad Geeta Channel is incepted by The Himalayan Rishis under the auspicious umbrella of The Himalayan Meditation. With the divine grace of Shri Hari, the Himalayan Rishis have blessed us with the Santh Saral Geeta to help us understand the message of Shri Krishna in the most simplest manner. Videos on full chapters of Bhagavad Geeta Chanting, how to learn Bhagavad Geeta Chanting, Shloka Description, vrious videos on the Ashtakams granted by the Himalayan Sages and various topics on re-establishing Rishi Parampara are being regularly uploaded. 

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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