जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे भजन
जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे भजन
जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे,
काको नाम पतित पावन जग,
केहि अति दीन प्यारे।
कौन देव बिराई बिरद हित,
हठि हठि अधम उधारे,
खग मृग व्याध पाषाण बिटप जड,
यवन कवन सुर तारे,
जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे।
देव दनुज मुनि नाग मनुज सब,
माया बिबस बिचारे,
तिनके हाथ दास तुलसी,
प्रभु कहां अपनपौ हारे,
जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे।
काको नाम पतित पावन जग,
केहि अति दीन प्यारे।
कौन देव बिराई बिरद हित,
हठि हठि अधम उधारे,
खग मृग व्याध पाषाण बिटप जड,
यवन कवन सुर तारे,
जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे।
देव दनुज मुनि नाग मनुज सब,
माया बिबस बिचारे,
तिनके हाथ दास तुलसी,
प्रभु कहां अपनपौ हारे,
जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे।
Jaun kahan ।Vinay Patrika વિનય પત્રિકા বিনয পত্রি@shriram_bhakti #shrirambhajan
जीवन की हर दिशा जब असमंजस में खो जाती है, तब यह भाव उठता है—“जाऊँ कहाँ तजि चरण तुम्हारे।” यह वही करुण आर्त ध्वनि है, जहाँ आत्मा अपने शरणागत भाव के साथ ईश्वर के चरणों में पूर्ण समर्पण व्यक्त करती है। सृष्टि के सभी नामों में केवल वही एक नाम है जो पतितों को पवित्र करने वाला है, वही दीनों के हितकारी हैं, और वही अंतिम आश्रय हैं। जब सब ओर दंभ, मोह और माया का जाल है, तब उनके चरण ही वह तट हैं जहाँ शांति और सुरक्षा मिलती है।Jaun kahan taji . Vinay Patrika
Singer ~~~ Rajkumar Bhardwaj
अर्थ पूर्ण, भाव पूर्ण भजनों की अभिव्यक्ति के
आध्यात्मिक गायक
॥ राजकुमार भारद्वाज ॥
My Original Bhajan Available On
Singer ~~~ Rajkumar Bhardwaj
अर्थ पूर्ण, भाव पूर्ण भजनों की अभिव्यक्ति के
आध्यात्मिक गायक
॥ राजकुमार भारद्वाज ॥
My Original Bhajan Available On
प्रभु श्री रामचंद्र जी के चरण इतने पावन हैं कि उनका स्मरण मात्र ही समस्त पापों का नाश करने वाला माना जाता है। धार्मिक और भक्ति परम्पराओं में इन चरणों की महिमा को अद्वितीय बताया गया है, क्योंकि उन्होंने अनेक पवित्र स्थलों को स्पर्श किया और अपने संपर्क से उन्हें और भी पूजनीय बना दिया, जिसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण माता अहिल्या का उद्धार है जो उनके चरण स्पर्श से ही शिला से मुक्त हुईं और परम गति को प्राप्त हुईं। इन पावन चरणों को शरणागति का प्रतीक माना जाता है, जहाँ भक्त जीवन के दुःख, भय और क्लेशों से मुक्ति पाकर परम शांति और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
श्री रामचन्द्र जी के दस पावन नाम -:
- श्रीराम, जिनमें योगीजन रमण करते हैं या आनंदित होते हैं।
- रामचन्द्र, चंद्रमा के समान आनंदमयी और मनोहर राम।
- रामभद्र, कल्याणकारी और शुभ राम।
- शाश्वत, जो सनातन हैं, यानी जिनका कोई अंत नहीं है।
- राजीवलोचन, कमल के समान नेत्रों वाले।
- रघुपुङ्गव, रघुकुल में श्रेष्ठ या उत्तम।
- जानकीवल्लभ, जनकसुता सीता के प्रियतम।
- जैत्र, जो सदैव विजयशील हैं या विजय प्राप्त करने वाले।
- जितामित्र, शत्रुओं को जीतने वाले।
- सत्यव्रत, सत्य का दृढ़ता पूर्वक पालन करने वाले।
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