खाटू वाले श्यामधणी तुम सूरज चांद नगिना

खाटू वाले श्यामधणी तुम सूरज चांद नगिना

 
खाटू वाले श्यामधणी तुम सूरज चांद नगिना

खाटू वाले श्यामधणी,
तुम सूरज चांद नगिना,
तुमसा देव कहीं ना बाबा,
तुम बिन क्या जीना,
इस कलयुग में हो रही पूजा,
घर घर हे जयकारी,
तुम हारे के सहारे बाबा,
तेरी लख दातारी,
तुम ही हो मेरे सांवरिया,
श्याम मेरे सांवरिया।

जिसने की है तुमसे यारी,
वह है बड़भागी,
जिसने पूजा दिल में बसाया,
किस्मत है जागी,
चढ़ गया जिस पर श्याम रंग रे,
वह हुआ मतवाला,
जो चल करके आया खाटू,
उसका तुम रखवाला,
तुम ही हो मेरे सांवरिया,
श्याम मेरे सांवरिया।

मझधारों में नैया मेरी,
छोड़ के मत जाना,
मझधारों में नैया मेरी,
छोड़ के मत जाना,
तूफानों में श्याम सांवरे,
नीले चढ आना,
तुम हो सुरमा रणबांकूरे,
तीन बाण के धारी,
तेरी शक्ति दुनिया जाने,
सुदर्शन धारी,
तुम ही हो मेरे सांवरिया,
श्याम मेरे सांवरिया,
तुम ही हो मेरे सांवरिया,
श्याम मेरे सांवरिया।

चरणों की मैं धूल हूं बाबा,
शीश के दानी तुम,
फूल मैं तेरी बगिया का,
पर वरदानी हो तुम,
हर ग्यारस को दौड़ा आऊं,
दर्शन खाटू वाले,
लेकर निशान तेरी,
चौखट पर मोर छड़ी वाले,
तुम ही हो मेरे सांवरिया,
श्याम मेरे सांवरिया।

दो भक्ति वरदान सांवरे,
क्या मैं भेंट चढ़ाऊ,
सात सुरों से करूं वंदना,
जुग जुग शीश नवाऊं,
तेरी गलियों का हूं राही,
भाव से महिमा पुकारे,
कहता है सुरेश सांवरा,
भव से पार उतारे,
तुम ही हो मेरे सांवरिया,
श्याम मेरे सांवरिया।

खाटू वाले श्यामधणी,
तुम सूरज चांद नगिना,
तुमसा देव कहीं ना बाबा,
तुम बिन क्या जीना,
इस कलयुग में हो रही पूजा,
घर घर हे जयकारी,
तुम हारे के सहारे बाबा,
तेरी लख दातारी,
तुम ही हो मेरे सांवरिया,
श्याम मेरे सांवरिया।

तुम्ही हो मेरे साँवरिया श्याम मेरे साँवरिया | Khatu Shyam Bhajan | Deepak Krishu | Bhavesh Vaishnav
 
Song : Tumhi Ho Mere Sanwariya Shyam Mere Sanwariya 
Singer : Bhavesh Vaishnav 
Lyrics : Suresh Suthar Savina 
Music : Balaji Records sukhwara 
Recording : Balaji Records sukhwara 
Artist : Badmash Deepak,Krishu Singh Rajput ,Pardeep mali
Music Label : Sawariya Digital Studio
Category : sawariya seth bhajan 
Sub Category : Rajasthani Song
 
यह भाव उस अनिर्वचनीय माधुर्य का चित्र है जहाँ प्रेम ध्वनि का रूप ले लेता है और ध्वनि सम्मोहन बन जाती है। जब मोहन की मुरली गूँजती है, तो वह केवल वंशी की तान नहीं होती – वह अनाहत नाद की पुकार होती है जो हर हृदय तक पहुँच जाती है। गोपियाँ जब सुनने दौड़ पड़ती हैं, तो वे केवल संगीत की ओर नहीं, अपने ईश्वर की ओर आकर्षित होती हैं। उस तान में ऐसा जादू है जो मन को वश में कर लेता है, देह की सीमा लाँघकर आत्मा को छू जाता है। जो भी सुनता है, उसका निजत्व मिट जाता है, बस एक भाव रह जाता है – “मैं उसकी हूँ, वही बना दे।” मुरली की मधुरता उस दिव्य सृष्टि की भाषा है, जिसमें ईश्वर बोलता नहीं, बजता है।
 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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