घना दिन सो लियो रे अब तो जाग मुसाफिर जाग

घना दिन सो लियो रे अब तो जाग मुसाफिर जाग

घना दिन सो लियो, रे अब तो जाग मुसाफिर जाग।
घना दिन सो लियो, रे अब तो जाग मुसाफिर जाग।।

पहला सूत्यो मात गरभ में, पुंदा पैर पसार,
हाथ जोड़ कर बाहर निकल्यो, हरी ने दियो बिसराए।
जनम तेरा हो लिया रे, अब तो जाग मुसाफिर जाग।
घना दिन सो लियो, रे अब तो जाग मुसाफिर जाग।।

दूजा सूत्यो मात गोद में, हँस हँस दन्त दिखाए,
बहन भांजी लोट जिमावे, गावें मंगलाचार।
लाड तेरा हो लिया रे, अब तो जाग मुसाफिर जाग।
घना दिन सो लियो, रे अब तो जाग मुसाफिर जाग।।

तीजा सूत्यो पिया सेज में, मन में बहुत उछाल,
त्रिया चरित इक जाल रचेयो, हरी ने दियो बिसराए।
बिआह तेरा हो लिया रे, अब तो जाग मुसाफिर जाग।
घना दिन सो लियो, रे अब तो जाग मुसाफिर जाग।।

चौथा सूत्यो शमशाना में, लंबा पैर पसार,
कहत कबीर सुनो रे भाई, साधो दीनी आग लगाए।
दाग तेरा हो लिया रे, अब तो जाग मुसाफिर जाग।
घना दिन सो लियो, रे अब तो जाग मुसाफिर जाग।।


चेतावनी भजन- घणा दिन सो लिओ रे अब तू जाग मुसाफिर जाग कबीर जी का सुपर हिट भजन।। ghana din so liya re

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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