सत्संग दा नजारा दो घड़ियां
सत्संग दा नजारा दो घड़ियां
सत्संग का नज़ारा दो घड़ियां
ऐ नाम का मिलना दोबारा दो घड़ियां,
पी लो अमृत प्याला दो घड़ियां।।
ऐ घड़ियां बड़ी संवलियां हैं,
जहाँ संगतें आन खड़ी हैं,
भगतों का नज़ारा दो घड़ियां।।
सत्संग में समझो दिवाली है,
जहाँ जगती ज्योत निराली है,
कर लो और मन उजियाला दो घड़ियां।।
सत्संग में हनुमत आते हैं,
राम नाम की अलख जगाते हैं,
ले लो राम का नज़ारा दो घड़ियां।।
सत्संग में गंगा बहती है,
जहाँ पापों की बेड़ी डूबती है,
कर लो पापों से किनारा दो घड़ियां।।
ऐ नाम का मिलना दोबारा दो घड़ियां,
पी लो अमृत प्याला दो घड़ियां।।
ऐ घड़ियां बड़ी संवलियां हैं,
जहाँ संगतें आन खड़ी हैं,
भगतों का नज़ारा दो घड़ियां।।
सत्संग में समझो दिवाली है,
जहाँ जगती ज्योत निराली है,
कर लो और मन उजियाला दो घड़ियां।।
सत्संग में हनुमत आते हैं,
राम नाम की अलख जगाते हैं,
ले लो राम का नज़ारा दो घड़ियां।।
सत्संग में गंगा बहती है,
जहाँ पापों की बेड़ी डूबती है,
कर लो पापों से किनारा दो घड़ियां।।
सत्संग दा नजारा दो घड़ियां ए ना मिलना दोबारा दो घड़ियां bajan kirtan
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Admin - Saroj Jangir
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