जब ढूंढूं अकेलापन मन शोर मचाता है

जब ढूंढूं अकेलापन मन शोर मचाता है

जब ढूंढूं अकेलापन,
मन शोर मचाता है,
तू साथ में होने का,
एहसास दिलाता है,
जब ढूंढूं अकेलापन।।

ये समय का पहिया तो,
निश्चित ही घूमेगा,
अंधियारों में राही,
रस्ता भी ढूंढेगा,
इन राहों में जब कोई,
दीपक दिख जाता है,
तू साथ में होने का,
एहसास दिलाता है,
जब ढूंढूं अकेलापन।।

लालच में देख कौड़ी,
मन बार-बार दौड़ा,
धन जोड़ लिया झूठा,
सच्ची पूंजी को छोड़ा,
सच बोलूं जब ये धन,
मेरे काम ना आता है,
तू साथ में होने का,
एहसास दिलाता है,
जब ढूंढूं अकेलापन।।

मालूम है ये मुझको,
वो घड़ी भी आनी है,
माटी की ये काया,
माटी हो जानी है,
कर्मों का निशां ‘वैभव’,
यादों को बनाता है,
तू साथ में होने का,
एहसास दिलाता है,
जब ढूंढूं अकेलापन।।

जब ढूंढूं अकेलापन,
मन शोर मचाता है,
तू साथ में होने का,
एहसास दिलाता है,
जब ढूंढूं अकेलापन।।


Ehsaas || Vaishnavi Janveja || जब ढूँढूँ अकेलापन मन शोर मचाता है || Latest Shyam Baba Bhajan 2024

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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