श्री राम भुजङ्ग प्रयात स्तोत्रम् Shriram Bhujang Prayat Stotram

श्री राम भुजङ्ग प्रयात स्तोत्रम् Shriram Bhujang Prayat Stotram


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प्रभु श्री राम को समर्पित श्री राम भुजङ्ग प्रयात स्तोत्रम् बहुत ही चमत्कारिक स्तोत्र है। यह स्तोत्र प्रभु श्री राम के अति लोकप्रिय और प्रभावशाली स्तोत्रों में से एक है। इस स्तोत्रम् में भगवान श्री राम के रूप, गुण, शक्ति और उनकी महिमा का बहुत ही अद्भुत वर्णन किया गया है। इस स्तोत्रम् का नित्य पाठ करने से साधक की समस्त मनोकामनायें पूर्ण होती है और उसके सभी दुखों का नाश होता है।

विशुद्धं परं सच्चिदानन्दरूपं,
गुणाधारमाधारहीनं वरेण्यम्,
महान्तं विभान्तं गुहान्तं गुणान्तं,
सुखान्तं स्वयं धाम रामं प्रपद्ये।

शिवं नित्यमेकं विभुं तारकाख्यं,
सुखाकारमाकारशून्यं सुमान्यम्,
महेशं कलेशं सुरेशं परेशं,
नरेशं निरीशं महीशं प्रपद्ये।

यदावर्णयत्कर्णमूलेऽन्तकाले,
शिवो राम रामेति रामेति काश्याम्,
तदेकं परं तारकब्रह्मरूपं,
भजेऽहं भजेऽहं भजेऽहं भजेऽहम्।

महारत्नपीठे शुभे कल्पमूले,
सुखासीनमादित्यकोटिप्रकाशम्,
सदा जानकीलक्ष्मणोपेतमेकं,
सदा रामचन्द्रं भजेऽहं भजेऽहम्।

क्वणद्रत्नमञ्जीरपादारविन्दं,
लसन्मेखलाचारुपीताम्बराढ्यम्,
महारत्नहारोल्लसत्कौस्तुभाङ्गं,
नदच्चञ्चरीमञ्जरीलोलमालम्।

लसच्चन्द्रिकास्मेरशोणाधराभं,
समुद्यत्पतङ्गेन्दुकोटिप्रकाशम्,
नमद्ब्रह्मरुद्रादिकोटीररत्न,
स्फुरत्कान्तिनीराजनाराधिताङ्घ्रिम्।

पुरः प्राञ्जलीनाञ्जनेयादिभक्ता,
न्स्वचिन्मुद्रया भद्रया बोधयन्तम्,
भजेऽहं भजेऽहं सदा रामचन्द्रं,
त्वदन्यं न मन्ये न मन्ये न मन्ये।

यदा मत्समीपं कृतान्तः समेत्य,
प्रचण्डप्रकोपैर्भटैर्भीषयेन्माम्,
तदाविष्करोषि त्वदीयं स्वरूपं,
सदापत्प्रणाशं सकोदण्डबाणम्।

निजे मानसे मन्दिरे सन्निधेहि,
प्रसीद प्रसीद प्रभो रामचन्द्र,
ससौमित्रिणा कैकयीनन्दनेन,
स्वशक्त्यानुभक्त्या च संसेव्यमान।

स्वभक्ताग्रगण्यैः कपीशैर्महीशै,
रनीकैरनेकैश्च राम प्रसीद,
नमस्ते नमोऽस्त्वीश राम प्रसीद,
प्रशाधि प्रशाधि प्रकाशं प्रभो माम्।

त्वमेवासि दैवं परं मे यदेकं,
सुचैतन्यमेतत्त्वदन्यं न मन्ये,
यतोऽभूदमेयं वियद्वायुतेजो,
जलोर्व्यादिकार्यं चरं चाचरं च।

नमः सच्चिदानन्दरूपाय तस्मै,
नमो देवदेवाय रामाय तुभ्यम्,
नमो जानकीजीवितेशाय तुभ्यं,
नमः पुण्डरीकायताक्षाय तुभ्यम्।

नमो भक्तियुक्तानुरक्ताय तुभ्यं,
नमः पुण्यपुञ्जैकलभ्याय तुभ्यम्,
नमो वेदवेद्याय चाद्याय पुंसे,
नमः सुन्दरायेन्दिरावल्लभाय।

नमो विश्वकर्त्रे नमो विश्वहर्त्रे,
नमो विश्वभोक्त्रे नमो विश्वमात्रे,
नमो विश्वनेत्रे नमो विश्वजेत्रे,
नमो विश्वपित्रे नमो विश्वमात्रे।

नमस्ते नमस्ते समस्तप्रपञ्च,
प्रभोगप्रयोगप्रमाणप्रवीण,
मदीयं मनस्त्वत्पदद्वन्द्वसेवां,
विधातुं प्रवृत्तं सुचैतन्यसिद्ध्यै।

शिलापि त्वदङ्घ्रिक्षमासङ्गिरेणु,
प्रसादाद्धि चैतन्यमाधत्त राम,
नरस्त्वत्पदद्वन्द्वसेवाविधाना,
त्सुचैतन्यमेतीति किं चित्रमत्र।

पवित्रं चरित्रं विचित्रं त्वदीयं,
नरा ये स्मरन्त्यन्वहं रामचन्द्र,
भवन्तं भवान्तं भरन्तं भजन्तो,
लभन्ते कृतान्तं न पश्यन्त्यतोऽन्ते।

स पुण्यः स गण्यः शरण्यो ममायं,
नरो वेद यो देवचूडामणिं त्वाम्,
सदाकारमेकं चिदानन्दरूपं,
मनोवागगम्यं परं धाम राम।

प्रचण्डप्रतापप्रभावाभिभूत,
प्रभूतारिवीर प्रभो रामचन्द्र,
बलं ते कथं वर्ण्यतेऽतीव बाल्ये,
यतोऽखण्डि चण्डीशकोदण्डदण्डः।

दशग्रीवमुग्रं सपुत्रं समित्रं,
सरिद्दुर्गमध्यस्थरक्षोगणेशम्,
भवन्तं विना राम वीरो नरो वा,
ऽसुरो वाऽमरो वा जयेत्कस्त्रिलोक्याम्।

सदा राम रामेति रामामृतं ते,
सदाराममानन्दनिष्यन्दकन्दम्,
पिबन्तं नमन्तं सुदन्तं हसन्तं,
हनूमन्तमन्तर्भजे तं नितान्तम्।

सदा राम रामेति रामामृतं ते,
सदाराममानन्दनिष्यन्दकन्दम्,
पिबन्नन्वहं नन्वहं नैव मृत्यो,
र्बिभेमि प्रसादादसादात्तवैव।

असीतासमेतैरकोदण्डभूषै,
रसौमित्रिवन्द्यैरचण्डप्रतापैः,
अलङ्केशकालैरसुग्रीवमित्रै,
ररामाभिधेयैरलं दैवतैर्नः।

अवीरासनस्थैरचिन्मुद्रिकाढ्यै,
रभक्ताञ्जनेयादितत्त्वप्रकाशैः,
अमन्दारमूलैरमन्दारमालै,
ररामाभिधेयैरलं दैवतैर्नः।

असिन्धुप्रकोपैरवन्द्यप्रतापै,
रबन्धुप्रयाणैरमन्दस्मिताढ्यैः,
अदण्डप्रवासैरखण्डप्रबोधै,
ररामाभिधेयैरलं दैवतैर्नः।

हरे राम सीतापते रावणारे,
खरारे मुरारेऽसुरारे परेति,
लपन्तं नयन्तं सदा कालमेवं,
समालोकयालोकयाशेषबन्धो।

नमस्ते सुमित्रासुपुत्राभिवन्द्य,
नमस्ते सदा कैकयीनन्दनेड्य,
नमस्ते सदा वानराधीशवन्द्य,
नमस्ते नमस्ते सदा रामचन्द्र।

प्रसीद प्रसीद प्रचण्डप्रताप,
प्रसीद प्रसीद प्रचण्डारिकाल,
प्रसीद प्रसीद प्रपन्नानुकम्पिन्,
प्रसीद प्रसीद प्रभो रामचन्द्र।

भुजङ्गप्रयातं परं वेदसारं,
मुदा रामचन्द्रस्य भक्त्या च नित्यम्,
पठन्सन्ततं चिन्तयन्स्वान्तरङ्गे,
स एव स्वयं रामचन्द्रः स धन्यः।


श्रीराम भुजंग प्रयात स्तोत्रम l Ram Bhujanga Stotram l Adi Shankaracharya l Madhvi Madhukar


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