हाथों में पैसा खत्म ना हो ऐसी में किस्मत लाऊंगा

हाथों में पैसा खत्म ना हो ऐसी में किस्मत लाऊंगा

हाथों में पैसा खत्म ना हो, ऐसी मैं किस्मत लाऊंगा,
ऐसी मैं किस्मत लाऊंगा, रूणिचा नगरी जाऊंगा।।

लेकर धोली ध्वजा मैं हाथ, घर से मैं निकल जाऊंगा,
रस्तेरस्ते भंडारा में, खीरपूड़ी मैं खाऊंगा।।

सरोवर में नहाकर के, मैं अपना कोढ़ मिटाऊंगा,
बाबा रा दर्शन पाकर के, काया कंचन कर आऊंगा।।

राम~विष्णु रो अवतारी है, भगतां रा कारज हारेगा,
बाबो पचरंग पैचाधारी है, दुखिया रा दुख मिटावेगा।।

राम भगतां ने पर्चा देवे, निर्धन री झोली भर देगा,
हिंदू~मुस्लिम दर पे आवे, बाबो भेदभाव मिटा देगा।।

यो मुकेश लिख कर गावे है, चरणा में शीश नवावेगा,
भक्त आस ले के आवे हैं, राम नैया पार लगावेगा।।


हाथों में पैसा खत्म ना हो ऐसी मै किस्मत लाऊंगा/hatho m pesa khatm na ho asi m kismat launga

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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