दोय बखत नहिं करि सके दिन में करू इकबार Doy Bakhat Nahi Kari Sake Meaning : Kabir Ke Dohe/Hindi Bhavarth
दोय बखत नहिं करि सके, दिन में करू इकबार |
कबीर साधु दरश ते, उतरैं भव जल पार ||
Doy Bakhat Nahi Kari Sake, Din Me Karu Ikbar,
Kabir Sadhu Darash Te Utare, Bhav Jal Paar.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब ने संतों के सानिध्य में रहकर उनके दर्शन करने को अनेकों स्थान पर शुभ और मंगलकारी बताया है। वे कहते हैं की यदि दो वक्त संतों के दर्शन नहीं कर पाएं तो दिन में एक बार अवश्य ही संतों के दर्शन करने चाहिए। साधू / संत के दर्शन से साधक भव सागर से पार उतरता है। इस दोहे में कबीर दास जी संतों के दर्शन के महत्व को बता रहे हैं। वे कहते हैं कि यदि हम दिन में दो बार संतों के दर्शन करने में सक्षम नहीं हैं, तो हमें एक बार भी जरूर करना चाहिए। संतों के दर्शन से जीव संसार-सागर से पार उतर जाता है।