गुरु पारस को अन्तरो जानत हैं सब सन्त हिंदी मीनिंग Guru Paras Ko Antaro Meaning

गुरु पारस को अन्तरो जानत हैं सब सन्त हिंदी मीनिंग Guru Paras Ko Antaro Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Hindi Bhavarth

गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब सन्त।
वह लोहा कंचन करे, ये करि लये महन्त॥३॥
 
Guru Paras Ko Antaro, Janat Hai Sab Sant,
Vah Loha Kanchan Kare, Ye Kari Ley Mahant.
 
guru paras ko antaro meaning kabir ke dohe hindi arth bhavarth sahit
 

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

ज्ञानी पुरुष/संतजन गुरु और पारस के मध्य के अंतर को जानते हैं। जैसे पारस के सम्पर्क में आने से लोहा सोना बन जाता ही वैसे ही गुरु के संपर्क में आने से साधक/शिष्य के समस्त अवगुण दूर हो जाते हैं। गुरु शिष्य को स्वंय के जैसा बना लेता है।  इस दोहे में कबीर दास जी ने गुरु और पारस के बीच के अंतर को बताया है। पारस एक ऐसा पत्थर है जो लोहे को सोने में बदल देता है। लेकिन गुरु का प्रभाव इससे कहीं अधिक गहरा होता है। गुरु शिष्य को केवल ज्ञान और भक्ति ही नहीं देता, बल्कि उसे आध्यात्मिक रूप से भी उन्नत बनाता है। गुरु के मार्गदर्शन में शिष्य अपने अंदर छिपी हुई महानता को पहचान पाता है और उसेभक्ति के मार्ग पर अग्रसर करता है.

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url