जो गुरु बसै बनारसी, शीष समुन्दर तीर।
एक पलक बिखरे नहीं, जो गुण होय शरीर॥
एक पलक बिखरे नहीं, जो गुण होय शरीर॥
Jo Guru Base Banarasi, Sheesh Samundar Teer,
Ek Palak Bikhare Nahi, Jo Gun Hoy Sharir.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
गुरु और शिष्य के मध्य भले ही कितनी भी दूरी हो, वे दूसरे के समीप ही रहते हैं, पास रहते हैं। जैसे गुरु यदि बनारस में रहे और शिष्य समुद्र के किनारे पर रहे तो भी वे एक दूसरे के समीप ही होते हैं। चाहे गुरु बनारस में रहते हों और शिष्य समुद्र के किनारे, उनके बीच का दूर का स्थान उनके ज्ञान के संबंध को कमजोर नहीं कर सकता। शिष्य ने सच्चे अर्थों में गुरु के उपदेशों को अपना लिया है, तो वह उन्हें एक क्षण के लिए भी भूल नहीं सकता है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |