मनह मनोरथ छाँड़ि दे तेरा किया न होइ हिंदी मीनिंग Manah Manorath Chhadi De Meaning : kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit.
मनह मनोरथ छाँड़ि दे, तेरा किया न होइ ।पाणी में घीव नीकसै, तो रूखा खाइ न कोइ ॥
Manah Manorath Chhadi De, Tera Kiya Na Hoi,
Pani Me Gheev Nikase, To Rukha Khai Na Koi.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
व्यक्ति अपने मन के अनुसार लोभ करता है की उसका सोचा हो जाए, लेकिन कबीर साहेब कहते हैं की व्यक्ति के द्वारा सोचा हुआ नहीं होता है, होता वही है जो इश्वर को अच्चा लगे. व्यक्ति के द्वारा किया हुआ कुछ भी नहीं होता है. हे मन! अपनी इच्छाओं को छोड़ दे। तेरा किया न होइ। इसका अर्थ है कि तुम्हारे द्वारा कुछ होने-जाने का नहीं है। भाव है की व्यक्ति के द्वारा विचार किया हुआ वास्तव में कुछ भी नहीं होता है.यदि पाणी से ही घी निकलने लगे तो भला रुखा सुखा कौन खायेगा ? कोई भीनहीं. अतः हमें सारे परिणामों को इश्वर पर छोड़ देना चाहिए, वह हमारे हित में जो होगा वही करेगा.
इस दोहे की प्रासंगिकता आज भी उतनी ही है। आज भी दुनिया भर में लाखों लोग मन की इच्छाओं से परेशान हैं। हमें इस दोहे की शिक्षाओं को ध्यान में रखकर मन की इच्छाओं से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए। जब हम इन बातों का पालन करते हैं, तो हम मन की इच्छाओं से दूर रह सकते हैं और अपने जीवन में सुख और शांति प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ दोहे का एक और अर्थ भी हो सकता है।
कबीर नौबत आपणी, दिन दस लेहु बजाइ ।
ए पुर पाटन, ए गली, बहुरि न देखै आइ ॥
Kabir Noubat Aapni, Dis Das Lehu Bajai,
Aie Pur Patan Aie Gali Bahuri Na Dekhe Aai.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर' नौबत आपणी, दिन दस लेहु बजाइ। इसका अर्थ है कि कबीर कहते हैं कि अपनी इस ज़िंदगी को दस दिन और जी लो। ए पुर पाटन, ए गली, बहुरि न देखै आइ। इसका अर्थ है कि फिर यह नगर, यह पट्टन और ये गलियाँ देखने को नहीं मिलेंगी। कहाँ मिलेगा ऐसा सुयोग, ऐसा संयोग। इसका अर्थ है कि कहाँ मिलेगा ऐसा अवसर, ऐसा सौभाग्य, जीवन सफल करने का, बिगड़ी बात को बना लेने का।
ए पुर पाटन, ए गली, बहुरि न देखै आइ ॥
Kabir Noubat Aapni, Dis Das Lehu Bajai,
Aie Pur Patan Aie Gali Bahuri Na Dekhe Aai.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर' नौबत आपणी, दिन दस लेहु बजाइ। इसका अर्थ है कि कबीर कहते हैं कि अपनी इस ज़िंदगी को दस दिन और जी लो। ए पुर पाटन, ए गली, बहुरि न देखै आइ। इसका अर्थ है कि फिर यह नगर, यह पट्टन और ये गलियाँ देखने को नहीं मिलेंगी। कहाँ मिलेगा ऐसा सुयोग, ऐसा संयोग। इसका अर्थ है कि कहाँ मिलेगा ऐसा अवसर, ऐसा सौभाग्य, जीवन सफल करने का, बिगड़ी बात को बना लेने का।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |