कबीर नौबत आपणी दिन दस लेहु बजाइ मीनिंग Kabir Nobat Aapni Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi arth/Bhavarth Sahti
कबीर नौबत आपणी, दिन दस लेहु बजाइ।
ए पुर पाटन, ए गली, बहुरि न देखै आइ॥
Kabir Nobat Aapni, Din Das Lehu Bajai,
Aie Pur Tapatn Aie Gali Bahur Na Dekhe Aai.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब ने इस दोहे में अमूल्य मानव जीवन के बारे में सन्देश दिया है की इस अमूल्य मानव जीवन के महत्त्व को हमें समझना चाहिए. इस दोहे में कबीर साहेब हमें जीवन के क्षणभंगुर होने का संदेश दे रहे हैं। वे कहते हैं कि जीवन एक मेले की तरह है, जो कुछ दिनों के लिए ही आयोजित होता है। इस मेले में हम कुछ दिनों के लिए खुशियाँ मना सकते हैं, लेकिन एक बार यह मेला समाप्त हो जाने के बाद, यह नगर, यह पट्टन और ये गलियाँ फिर कभी देखने को नहीं मिलेंगी। आशय है की मानव जीवन बहुत अनमोल है, इसके महत्त्व को समझ कर हमें इश्वर की भक्ति करनी चाहिए, माया को छोड़कर हरी के नाम सुमिरन में ही जीवन का सार है.
कबीर साहेब हमें यह भी बता रहे हैं कि जीवन अल्प कालीन है। हमें इस जीवन को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। हमें अपने जीवन में किसी भी तरह की गलती नहीं करनी चाहिए। हमें अपने जीवन को बिगड़ने से बचाना चाहिए। जीवन सफल कैसे होगा, वस्तुतः कबीर साहेब का मूल सन्देश है की करोड़ों जन्म लेने के उपरान्त यह मानव जीवन मिला है जिसका उद्देश्य हरी के नाम का सुमिरन करना ही है.
कबीर साहेब हमें यह भी बता रहे हैं कि जीवन अल्प कालीन है। हमें इस जीवन को सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। हमें अपने जीवन में किसी भी तरह की गलती नहीं करनी चाहिए। हमें अपने जीवन को बिगड़ने से बचाना चाहिए। जीवन सफल कैसे होगा, वस्तुतः कबीर साहेब का मूल सन्देश है की करोड़ों जन्म लेने के उपरान्त यह मानव जीवन मिला है जिसका उद्देश्य हरी के नाम का सुमिरन करना ही है.