कबीर खेत किसान का मिरगन खाया झारि हिंदी मीनिंग Kabir Khet Kisan Ka Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
कबीर खेत किसान का, मिरगन खाया झारि |खेत बिचारा क्या करे, धनी करे नहिं बारि ||
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब का इस दोहे में कथन है की मनुष्य का जीवन एक खेत की भाँती से है। जीवात्मा इसका स्वामी है। मनुष्य जीवन रूपी खेत विषय विकार रूपी मृग/हिरण बर्बाद कर देते हैं। ऐसे में मनुष्य का जीवन क्या कर सकता है जब आत्मा ही जीवन पर ध्यान नहीं देता है। भक्तिरूपी खेत को इन्द्रिय – मन एवं कामादिरुपी पशुओं के द्वारा नष्ट कर दिया जाता है। ऐसे में भक्त को चाहिए की वह अपने जीवन को महत्त्व को समझे और भक्ति में पूर्ण रूप से ध्यान लगाएं।