माथे पे विराजते हैं चंदा,
गले में है शेष भोलेनाथ के,
वादियों में रहता मेरा बाबा,
चरणो मैं रहते भूत रात के।
नैया बचाई मेरे शंभु ने मेरी,
बिगड़ी बनायी भोलेनाथ।
तू ही सब है तू जग है,
मेरा तो तू रब है,
तू ही सब में तू जग में,
बसता है राग राग में।
तू ही तो श्रीकण्ठ धारी,
तू ही तो है सर्वशाली,
एक मैं अनेक सर्व भोले,
तेरे इक प्रकाश से ही,
मिटती है विपदा सारी,
शक्ति का आयाम तू है भोले।
कहते हैं त्रिनेत्रधारी जिसको,
बाबा है मेरा देवनाथ वो,
जटाओ से बहती गंगा जिसके,
गोरापति हैं शम्भुनाथ वो।
पार लगाई मेरे शम्भु ने मेरी,
दुनिया बनाई भोलेनाथ ने।
तू ही सब है तू जग है,
मेरा तो तू रब है,
तू ही सब में तू जग में,
बसता है राग राग में,
महादेवा ओ महादेवा।
तेरी क्या तारीफ करूं,
हर तारीफ से तू ऊपर है,
तू ही काल है तू ही सत्य,
स्वर्ग तेरे ही दर पर है।
तुझ से है सब बनता बिगड़ता,
तू ही सब के कष्ट है हरता।
तेरे दर पर जो आए,
ना खाली झोली जाता है,
हर मुराद पे हक है तेरा,
मन इच्छा फल पाता है,
मन इच्छा फल पाता है,
मन इच्छा फल पाता है।