प्रेम पियाला जो पिए सिस दक्षिणा देय हिंदी मीनिंग Prem Pyala Jo Piye Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
प्रेम पियाला जो पिए, सिस दक्षिणा देय ।लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का लेय ।
Prem Piyala Jo Piye, Seesh Daksina Dey.
Lobhi Sheesh Na De Sake, Naam Prem Ka Lye.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
भक्ति के लिए आवश्यक क्रोध, भय, इच्छा का त्याग करके ही कोई व्यक्ति भक्ति कर सकता है। सांसारिक क्रियाओं में रत व्यक्ति कभी स्वंय के अभिमान का त्याग नहीं कर पाता है और लेकिन वह यह चाहता है की उसे भी प्रेम (भक्ति) मिले जो संभव नहीं है। आशय है की भक्ति के लिए व्यक्ति को स्वंय के अभिमान का त्याग करना परम आवश्यक है। दोयम का भाव मिटा कर ही वह हरी की भक्ति कर सकता है। इस दोहे में कबीरदास जी ने ईश्वर प्रेम को प्राप्त करने के लिए आवश्यक त्याग और समर्पण की बात कही है। वे कहते हैं कि जो व्यक्ति ईश्वर प्रेम प्राप्त करना चाहता है, उसे अपने अहंकार, काम, क्रोध, मोह और लोभ को त्यागना होगा। ये सभी गुण हमें ईश्वर से दूर ले जाते हैं। लालची व्यक्ति इन गुणों से ग्रस्त होता है और वह ईश्वर प्रेम प्राप्त नहीं कर सकता। वह केवल नाम प्रेम के लिए लालायित रहता है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |