गुरु की आज्ञा आवै गुरु की आज्ञा जाय हिंदी मीनिंग Guru Ki Aagya Aave Meaning : kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
गुरु की आज्ञा आवै, गुरु की आज्ञा जाय।कहैं कबीर सो संत हैं, आवागमन नशाय॥२॥
Guru Ki Aagya Aave, Guru Ki Aagya Jaay,
Kahe Kabir So Sant Hai, Avagaman Nashay.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
साधक के विषय में कबीर साहेब का कथन है की शिष्य को गुरु की आज्ञा का पूर्ण पालन करना चाहिए। गुरु की आज्ञा से आना और गुरु की आज्ञा से जाना ही साधक का परम कर्तव्य है / आशय है की साधक को समस्त कार्य गुरु के निर्देशानुसार ही करने चाहिए। गुरु की आज्ञा से ही साधक की मुक्ति सम्भव हो पाती है। अतः गुरु के ज्ञान की पालना से ही जन्म मरण/आवागमन से मुक्ति हो पाती है। इस दोहे में कबीर दास जी ने संत की परिभाषा देते हुए कहा है कि संत वही है जो गुरु की आज्ञा का पालन करता है। गुरु की आज्ञा का पालन करने से संत जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। कबीर दास जी का मानना था कि गुरु ही मनुष्य को ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग दिखा सकता है। गुरु की आज्ञा का पालन करने से संत अपने मन को नियंत्रित कर सकता है। वह सांसारिक मोह-माया से मुक्त हो सकता है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |