श्रीपंचमी परम मंगलदिन लिरिक्स
श्रीपंचमी परम मंगलदिन लिरिक्स Shripanchmi Param Mangaldin Lyrics
श्रीपंचमी परम मंगलदिन,
मदन महोच्छव आज,
बसंत बनाय चली व्रजसुंदरि,
ले पूजाको साज।
कनिक कलश जलपूर पढत,
रतिकाम मंत्र रसमूल,
तापरधरी रसाल मंजुरी,
आवृत पीतदुकूल।
चोवाचंदन अगरकुंकुमा,
नव केसरि घनसार,
धूपदीप नानानिरांजन,
विविध भांति उपहार।
बाजतताल मृदंग मुरलिका,
वीनापटह उपंग,
गावत राग वसंत मधुरसुर,
उपजत तान तरंग।
छिरकतअति अनुरागमुदित,
गोपीजन मदनगुपाल,
मनोंसुभग कनिक दलीमधि,
सोभित तरुन तमाल।
यह विधि चली रति राज,
वधावन सकलघोष आनंद,
हरि जीवन प्रभु गोवर्धनधर,
जयजय गोकुलचंद।
मदन महोच्छव आज,
बसंत बनाय चली व्रजसुंदरि,
ले पूजाको साज।
कनिक कलश जलपूर पढत,
रतिकाम मंत्र रसमूल,
तापरधरी रसाल मंजुरी,
आवृत पीतदुकूल।
चोवाचंदन अगरकुंकुमा,
नव केसरि घनसार,
धूपदीप नानानिरांजन,
विविध भांति उपहार।
बाजतताल मृदंग मुरलिका,
वीनापटह उपंग,
गावत राग वसंत मधुरसुर,
उपजत तान तरंग।
छिरकतअति अनुरागमुदित,
गोपीजन मदनगुपाल,
मनोंसुभग कनिक दलीमधि,
सोभित तरुन तमाल।
यह विधि चली रति राज,
वधावन सकलघोष आनंद,
हरि जीवन प्रभु गोवर्धनधर,
जयजय गोकुलचंद।
