म्हारी सोवनी चिड़ी कबीर भजन
म्हारी सोवनी चिड़ी कबीर भजन
म्हारी सोवनी चिड़ी,
मन मोहिनी चिड़ी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।
नौ दस मास गर्भ में रही,
तु नरगा री घुरी,
बाहर आय राम न भुलो,
राम री पुरी,
म्हारी सोवनी चिड़ी,
मन मोहिनी चिड़ी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।
नो दस मास घड़ता लागा,
हद सु हद घड़ी,
रु रु जोड़ा तील तील सादा,
तारा बीच जड़ी,
म्हारी सोवनी चिड़ी,
मन मोहिनी चिड़ी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।
पाणी पिलाऊ चुगो चुगाऊं,
राखू हरी भरी,
ऐ चिड़कली पल पल मैं,
थारी खबरा लेऊं,
जाने कू बिसरी,
म्हारी सोवनी चिड़ी,
मन मोहिनी चिड़ी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।
गुरु रे परताप सु,
सीरला जल सु तीरी,
रामानंद रा भणे कबीरा,
सत्संग में सुदरी,
म्हारी सोवनी चिड़ी,
मन मोहिनी चिड़ी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।
म्हारी सोवनी चिड़ी,
मन मोहिनी चिड़ी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।
मन मोहिनी चिड़ी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।
नौ दस मास गर्भ में रही,
तु नरगा री घुरी,
बाहर आय राम न भुलो,
राम री पुरी,
म्हारी सोवनी चिड़ी,
मन मोहिनी चिड़ी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।
नो दस मास घड़ता लागा,
हद सु हद घड़ी,
रु रु जोड़ा तील तील सादा,
तारा बीच जड़ी,
म्हारी सोवनी चिड़ी,
मन मोहिनी चिड़ी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।
पाणी पिलाऊ चुगो चुगाऊं,
राखू हरी भरी,
ऐ चिड़कली पल पल मैं,
थारी खबरा लेऊं,
जाने कू बिसरी,
म्हारी सोवनी चिड़ी,
मन मोहिनी चिड़ी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।
गुरु रे परताप सु,
सीरला जल सु तीरी,
रामानंद रा भणे कबीरा,
सत्संग में सुदरी,
म्हारी सोवनी चिड़ी,
मन मोहिनी चिड़ी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।
म्हारी सोवनी चिड़ी,
मन मोहिनी चिड़ी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।
सोवनी चीडी़ मन मोहवनी चीडी़ || काया रा कारीगर थाने फुटरी घडी़ || राजस्थानी भजन || shobhamali Sovan Chidi bhajan
ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.
पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।
shobhamali offical आप सभी का हार्दिक स्वागत है
Album : सोवनी चीडी़ मन मोहवनी चीडी़
singer : शोभा माली
music. : कैलाश माली
म्हारी सोवनी चिड़ी, मन मोहिनी चिड़ी, काया रो कारीगर, तने फुटरी घड़ी सुन्दर भजन में जीवन की नाजुकता और आत्मा की सुंदरता का बोध कराता है। गीत में कहा गया है कि यह आत्मा (चिड़ी) शरीर (काया) के निर्माता के द्वारा बनाई गई है, पर इसकी घड़ी (समय) कभी भी टूट सकती है, अर्थात जीवन अस्थायी है और मृत्यु निश्चित है। नौ दस महीनों के गर्भ में रहने के बाद जन्म आता है, पर बाहर आकर मनुष्य को ईश्वर का ध्यान नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि जीवन गुजरने वाला है। गीत में गुरु वशिष्ठ, रामानंद, कबीरा जैसे संतों के सत्संग की महत्ता बताई गई है, जो जीवन को सुधारते हैं। पानी पिलाने और देखभाल की बात इस जीवन की नाजुकता और स्नेह की ओर संकेत करती है। यह भजन चेतावनी भी देता है कि जीवन के निर्माणकर्ता की बनाई देह अस्थायी है, इसलिए सांसारिक मोह-माया में न पड़कर सच्चे सत्संग और भक्ति का मार्ग अपनाना चाहिए। यह गीत हमें नित्य-प्रति पल की अहमियत का एहसास कराता है और जीवन के प्रति सजग रहने की सीख देता है।
