अखंड मैं प्रचंड मैं मैं फल भी हूँ भजन

अखंड मैं प्रचंड मैं मैं फल भी हूँ आनंद मैं


अखंड मैं प्रचंड मैं लिरिक्स Akhand Main Prachand Main Bhajan Rap Song

अखंड मैं प्रचंड मैं,
मैं फल भी हूँ आनंद मैं,
बुरा अगर किया तो फिर हूँ,
उसका मृत्यु दंड मैं।

मैं भोला हूँ भंडारी हूँ,
अपनों की तो ढाल हूँ मैं,
भोला अपनों के लिए पर,
दुष्टों का तो काल हूँ मैं।

वैसे तो कैलाशी मैं,
श्मशानों का वासी मैं,
जो पीड़ा दूसरों को दे,
तो करता फिर विनाश हूँ मैं।

काल सामने हो जब,
तो कुछ भी न सुनाई दे,
नाम मेरा लोगे तो सब
सुखदायी है।

चमक चमक चमकती जब,
रौशनी दिखाई दे,
डमट डमट डमट की जब,
ध्वनि तुम्हें सुनाई दे।

समझो मैं हूँ सामने,
बस तू मेरा नाम ले,
बीत जाए सब बुरा जो,
अपने मन में ठान ले।

रुद्र मेरा रूप है,
रूप मेरा योग भी,
गले में ये जो सर्प है,
इसका भी कुछ अर्थ है।

जटा पे ये जो गंगा है,
ज्ञान का ये स्रोत है,
चाँद जो माथे पे है,
सुकून की ये ज्योत है।

राख जो मुझपे है,
वो भी ये बताती है,
पक्का कुछ भी है नहीं,
सब अस्थायी है।

त्रिशूल की अनोखी माया,
जिसकी हम पे है ये छाया,
ज्ञान पे अमल करो,
तो छूटेगा ना मेरा साया।

मैं जिज्ञासा हूँ मैं,
सबके मन की मैं आशा हूँ,
मैं दुर्वासा हूँ,
मैं सबके मन की भाषा हूँ।

नील मेरा कंठ है,
छवि मेरी अनंत है,
पाप जो का भागी है,
निकट तुम्हारा अंत है।

मा काव्य हूँ मा कंठ भी,
(कविता) (बुद्धिमान),
मा कुश हूँ  कुशल भी हूँ,
कुरेश भी कल्पेश मैं,
(सच्चा, निपुण, विजेता)
और मुझको तू करीफ भी,
(सर्वोत्तम, शुभग्य)।

करीम मैं कल्याण हूँ,
कनद भी हूँ और ख़ाक मैं,
कथा भी मैं कथन भी हूँ,
कनक भी हूँ, कफ़न भी मैं।

मैं कम भी हूँ कमी भी हूँ,
कलम भी हूँ कलश भी हूँ,
मैं आज हूँ मैं कल भी हूं,
मैं कर्ज हूँ मैं कर्म हूँ।

मैं कल्पना कविता की,
मैं दुष्ट का हूँ कष्ट भी,
कुकर्मियों को कूटा,
मैं काला हूँ और काल भी।


Mere Bholenath Rap | feat. Wokal | Artistic Nation | Latest Rap| Shiv Rap | Shiv | shivratri song


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भोलेनाथ अखंड प्रचंड शक्ति के स्वरूप हैं, फल और आनंद के दाता भी, बुराई करने वालों के लिए मृत्यु दंड स्वरूप। अपनों की ढाल बनकर भंडारी की तरह बरसते हैं, दुष्टों का काल बन जाते हैं, कैलाश वासी से श्मशान निवासी तक हर रूप धारण करते हैं। पीड़ा देने वालों का विनाश कर देते हैं, नाम जपने से सुखदायी बन जाते हैं, डमरू की ध्वनि और चमक से प्रकट होते हैं।

रुद्र रूप योग का प्रतीक है, गले का सर्प क्रोध संयम सिखाता है, जटा में गंगा ज्ञान का स्रोत बही आती है भागीरथ तप से। माथे का चंद्रमा सुकून की ज्योति है, समुद्र मंथन के हलाहल से शीतलता पाई। भस्म राख सिखाती है सब अस्थायी है, त्रिशूल की छाया ज्ञान अमल से कभी न छूटे।
 
Song : Mere Bholenath
RAP by: Wokal 
Lyrics & Compose : Wokal
Vocals in Hook: Mista Sash
Music : Mista Sash
Mix & Master : Mista Sash
Recording Studio - Artistic Nation
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