बने हैं याचक कृपा निधान संजय मित्तल

बने हैं याचक कृपा निधान संजय मित्तल

 
इस सुप्रसिद्ध भजन को स्वर श्री संजय जी मित्तल जी के द्वारा दिया गया है। इस मधुर भजन के बोल और इससे मिलते जुलते भजनों को नीचे दिया गया है।

 
बने हैं याचक कृपा निधान,
माँग रहे हैं बर्बरीक से,
आज शीश का दान।

समर भूमि की प्यास बुझाओ,
निज मस्तक की भेंट चढ़ाओ,
सब वीरों में नाम कमाओ,
हे योद्धा बलवान,
बने हैं याचक कृपा निधान।

हँसे वीर धन्य घड़ी ये आई,
याचक बनकर खड़े कन्हाई,
एक तमन्ना थी यदुराई,
देखूं युद्ध महान,
बने हैं याचक कृपा निधान।

बोले कृष्ण ये वचन हमारा,
अमर रहेगा शीश तुम्हारा,
पूजेगा तुझको जग सारा,
कलयुग के दरमियान,
बने हैं याचक कृपा निधान।

हँसते हँसते शीश दिया है,
हरि ने गिरी पर धरा दिया है,
सारा तांडव देख लिया है,
देकर पूरा ध्यान,
बने हैं याचक कृपा निधान।

महाभारत का हाल सुनाया,
श्याम नाम वरदान में पाया,
जो कोई इसके दर पे आया,
मिली उसे मुस्कान,
बने हैं याचक कृपा निधान।

बने हैं याचक कृपा निधान,
माँग रहे हैं बर्बरीक से,
आज शीश का दान।
 

Bane Hai Yachak Kripa Nidhan By Sanjay Mittal Akhand Jyoti Ka Path


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