दुख में सुमरिन सब करे सुख में करे न कोय मीनिंग Dukh Me Sumiran Sab Kare Meaning Kabir Arth
दुख में सुमरिन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, दुख कहे को होय।।
Dukh Me Sumiran Sab Kare, Sukh Me Kare Na Koy,
Jo Sukh Me Sumiran Kare, Dukh Kahe Ko Hoy.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
सभी लोग दुःख में ईश्वर को याद करते हैं, दुःख, संताप पीड़ा, विपरीत स्थिति में वे हरी के सुमिरन को भूल जाते हैं। सुख की स्थिति में वे मनमाने तरीके से अनैतिक कार्य भी करने लग जाते हैं, ऐसे में साहेब की वाणी है कैसे तुम्हारा भला हो सकता है। अतः इस दोहे से हमें सन्देश प्राप्त होता है की की चाह जैसी ही स्थिति हो हमें ईश्वर की भक्ति को नहीं भूलना चाहिए। इस दोहे में कबीर दास जी कहते हैं कि जब कोई व्यक्ति दुखी होता है, तो वह ईश्वर को याद करता है। लेकिन जब वह सुखी होता है, तो वह ईश्वर को याद नहीं करता। अगर कोई व्यक्ति सुख में भी ईश्वर को याद कर ले, तो उसे दुख कभी नहीं होगा। कबीर दास जी का मानना था कि ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं, चाहे हम दुखी हों या सुखी। जब हम दुखी होते हैं, तो हम ईश्वर को याद करते हैं क्योंकि हम उनकी मदद चाहते हैं। लेकिन जब हम सुखी होते हैं, तो हम ईश्वर को भूल जाते हैं क्योंकि हम उनसे कुछ नहीं मांगते हैं।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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