सब आसण आस तणाँ हिंदी मीनिंग Sab Aasan Aas Tana Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Arth/Hindi Bhavarth Sahit)
सब आसण आस तणाँ, निबर्तिके को नाहिं।निरवती कै निबहै नहीं, परव्रती के परपंच माँहि॥
Sab Aasan Aas Tana, Trivatike ko Naahi,
Nirvati Ke Nibahe Nahi, Parvati Ke Parpanch Mahi.
सब आसण : सभी आसन, कर्म.
आस तणाँ : आशा/लालसा व्याप्त है.
तणाँ : के निचे.
निबर्तिके को नाहिं : निवृति के लिए नहीं है.
निरवती कै : निवृति को.
निबहै नहीं : यह निभता नहीं है.
परव्रती के : वह प्रवति में (पड़ा रहता है.)
परपंच माँहि : जमेलों में पड़ा रहता है.
आस तणाँ : आशा/लालसा व्याप्त है.
तणाँ : के निचे.
निबर्तिके को नाहिं : निवृति के लिए नहीं है.
निरवती कै : निवृति को.
निबहै नहीं : यह निभता नहीं है.
परव्रती के : वह प्रवति में (पड़ा रहता है.)
परपंच माँहि : जमेलों में पड़ा रहता है.
समस्त कर्मों के रूप में आशा रूपी बंदन में बंध गए हैं. निवृति मार्ग का अनुसरण करने वालों के लिए यह मार्ग नहीं है. जीवात्मा निवृति मार्ग का निर्वहन नहीं कर पाता है इसलिए वह प्रवृति के जाल में उलझा रहता है. सन्देश है की संसार के प्राणियों में आशा और तृष्णा का प्रभुत्व है, जीव इनके प्रभाव में रहता है.
व्यक्ति प्रवृति के झमेलों में फंसकर निवृति मार्ग का अनुसरण नहीं कर पाता है. आसन से यहाँ पर आशय सांसारिक क्रियाएं और योगासन से भी लिया जाता है.
भजन श्रेणी : कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग