जो घट प्रेम न संचारे जो घट जान मसान मीनिंग Jo Ghat Prem Na Sanchre Meaning

जो घट प्रेम न संचारे जो घट जान मसान मीनिंग Jo Ghat Prem Na Sanchre Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

जो घट प्रेम न संचारे, जो घट जान मसान,
जैसे खाल लुहार की, सांस लेत बिनु प्राण।
 
Jo Ghat Prem Na Sanchre, Jo ghat Jan Masan,
Jaise Khal Luhar Ki, Sans Let Bin Pran.
 
जो घट प्रेम न संचारे जो घट जान मसान मीनिंग Jo Ghat Prem Na Sanchre Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब ने प्रेम की भावना को महत्त्व देते हैं। जो व्यक्ति प्रेम से रहित होता है, उसे तुम शमशान के जैसा समझो। जैसे लुहार की खाल होती है, वह बिना प्राण के होता है। आशय है की बिना प्रेम के किसी व्यक्ति का कोई महत्त्व नहीं होता है। व्यक्ति को प्रेम भावना का महत्त्व होता है, जहाँ दया तहा धर्म है - जहाँ दया है, वहाँ धर्म है। दया एक गुण है जो हमें दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित करता है। यह एक सकारात्मक गुण है जो हमें दूसरों के साथ जुड़ने और एक बेहतर दुनिया बनाने में मदद करता है।

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