कबीर हरि के नाव सूं प्रीति रहै इकतार हिंदी मीनिंग Kabir Hari Ke Naav Su Meaning

कबीर हरि के नाव सूं प्रीति रहै इकतार हिंदी मीनिंग Kabir Hari Ke Naav Su Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth sahit

कबीर हरि के नाव सूं, प्रीति रहै इकतार।
तो मुख तैं मोती झड़ैं, हीरे अन्त न फार॥
 
Kabir Hari Ke Naav su, Preeti Rahe Iktaar,
To Mukh Te Moti Jhade, Heere Ant Naa Faar.
 
कबीर हरि के नाव सूं प्रीति रहै इकतार हिंदी मीनिंग Kabir Hari Ke Naav Su Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth sahit
 

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीरदास जी के इस दोहे का अर्थ है कि यदि मनुष्य के मन में भगवान के प्रति सच्ची और अनवरत प्रेम रहे, तो उसका व्यवहार और कर्म भी मधुर हो जाएगा। कबीर साहेब इस दोहे में कहते हैं की यदि हरी के नाम से अविरल प्रीती बनी रहे तो उसके मुख से हीरे मोती झड़ने लगेंगे। ऐसे में हीरे मोतियों की कोई गिनती भी नहीं है। हरी भक्त का व्यवहार सबके प्रति मधुर होता है और वह सभी के प्रति समान होता है।

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