सद्गुरु ऐसा कीजिए लोभ मोह भ्रम नाहि हिंदी मीनिंग Sadguru Aisa Kijiye Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi arth Sahit
सद्गुरु ऐसा कीजिए, लोभ मोह भ्रम नाहि।
दरिया सो न्यारा रहे, दीसे दरिया माहि।।
Sadguru Aisa Kijiye, Lobh Moh Bhram Nahi,
Dariya So Nyara Rahe, Deese Dariya Mahi.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
संत कबीरदास जी सतगुरु के चयन के सम्बन्ध में कहते हैं जीवन में सद्गुरु ऐसा होना चाहिए, जिसके हृदय में किसी भी प्रकार लोभ, मोह-माया और भ्रम आदि ना हो। सद्गुरु इन सभी अवगुणोंसे मुक्त होता है। ऐसा सद्गुरु इस संसार रूपी सागर में दिखाई तो अवश्य पड़ता है, लेकिन वह विषय विकारों और महत्वाकांक्षाओं से मुक्त रहता है। आशय है की सतगुरु के सम्बन्ध में शिष्य को सावधानी रखनी चाहिए। संत कबीरदास जी का यह दोहा सच्चे गुरु की परिभाषा को बहुत ही स्पष्ट रूप से बताता है। उन्होंने कहा है कि सद्गुरु ऐसा होना चाहिए जो लोभ, मोह, और भ्रम से मुक्त हो। ऐसा सद्गुरु संसार में रहकर भी संसार से अलग रहता है। लोभ, मोह, और भ्रम तीन ऐसे नकारात्मक गुण हैं जो मनुष्य को अज्ञानता में डुबो देते हैं। वे हमें सही और गलत का अंतर समझने से रोकते हैं। सद्गुरु हमें इन गुणों से मुक्त होने में मदद करता है।