निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय।
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।
Nindak Niyare Rakhiye, Aangan Kuti Chhavay,
Bin Pani Sabun Bin, Nirmal Kare Subhay.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
निंदक व्यक्ति को अपने समीप रखना चाहिए जैसे की आंगन के समक्ष कुटिया के पास वृक्ष की छाया रखनी चाहिए। निंदक व्यक्ति बिना पानी और साबुन के व्यक्ति के मेल रूपी अवगुण को दूर कर देता है। आशय है की प्रशंसा करने वाले व्यक्ति के स्थान पर हमें ऐसे व्यक्ति को अपने समीप रखना चाहिए जो हमें स्वंय की बुराइयों के प्रति सचेत करे। कबीर दास जी के इस दोहे का अर्थ यही है। वे कहते हैं कि हमें अपने निंदकों को हमेशा अपने पास रखना चाहिए। वे बिना किसी चीज की मांग किए हमें और बेहतर बनाते हैं।आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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